अनावेदक क्रमांक 4 ने अपने जवाबदावे में बताया है कि घटना बस द्वारा रांग साईड में जाकर मृतक गणों की गाडी को टक्कर मारने के कारण घटित हुई है और बस चालक की उपेक्षा के विरूद्ध ही दावा प्रस्तुत किया गया है और इस विपक्षी के वाहन के विरूद्ध कोई अपराध पंजीबद्ध नहीं है, अतः यह विपक्षी बीमा कंपनी क्रमांक 4 प्रकरण में अनावश्यक पक्षकार है। इस कारण इस विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध दावा पोषणीय नहीं है। साथ ही वाहन में सवार व्यक्ति अधिनियम के अध्याय 11 अनुसार तृतीयपक्ष भी नहीं है और धारा 147 की परीधि से बाहर है। इस कारण भी दावा इस विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध पोषणीय नहीं है। उभयपक्ष के अभिवचनों के आधार पर आवेदन पत्र के विधिवत् निराकरण हेतु निम्नलिखित वाद प्रश्न विरचित किये हैं जिनके समक्ष विवेचना उपरांत निष्कर्ष अंकित किये जा रहे हैं। क्या दिनांक 26.05.2005 को अनावेदक क्रमांक 1 ने उसके आधिपत्य के वाहन बस को तेजी एवं लापरवाही पूर्वक चलाते हुए मृतक विजय के वाहन गामा जीप को टक्कर मारकर दुर्घटनाग्रस्त किया क्या उक्त गंभीर प्रकृति की दुर्घटना होने से राजाराम व विजय की मृत्यु कारित हुई क्या दुर्घटनाजन्य वाहन बस को अनावेदक क्रमांक 3 बीमा कंपनी के समक्ष विधिवत बीमित किया गया था क्या मृतक विजय के आधिपत्य का वाहन गामा जीप को अनावेदक क्रमांक 4 बीमा कंपनी के समक्ष विधिवत बीमित किया गया था क्या दिनांक 26.05.2005 को कारित दुर्घटना मृतक विजय की योगदाई उपेक्षा का परिणाम थी क्या दुर्घटनाजन्य वाहन बस को बीमा पॉलिसी की शर्तो के उल्लंघन में चलाया जा रहा था क्या मृतक विजय के पक्ष में वैध एवं प्रभावी चालक अनुज्ञप्ति नहीं थी क्या आवेदकगण और अनावेदक क्रमांक 4 ने मिलकर दुरभि संधि से क्लेम दावा प्रस्तुत किया है क्या आवेदकगण सुनीता बाई आदि मृतक राजाराम के वैध उत्तराधिकारीगण होने से अपने पक्ष में चालीस लाख रूपये प्रतिकर के रूप में प्राप्त करने के अधिकारी है क्या आवेदकगण सरीता बाई आदि मृतक विजय के वैध उत्तराधिकारीगण होने से अपने पक्ष में पचास लाख रूपये प्रतिकर के रूप में प्राप्त करने के अधिकारी है सहायता एवं व्यय उक्त वादप्रश्न का प्रमाण भार दोनों क्लेम याचिका के आवेदकगण पर था। आवेदिका सुनिता बाई अ.सा.1 ऐसा व्यक्त करती है कि दिनांक 26.05.2005 को उसका पति राजाराम जो शिक्षा विभाग में कार्यरत था, अपने दोस्त विजय व अन्य दोस्तो के साथ सलकनपुर जाने के लिए विजयसिंह की जीप से गया था, दर्शन के बाद वापिस लौटते समय भोपाल में दिनांक 26.05.2005 को बस के चालक ने तेजगति व लापरवाही से चलाकर जीप में टक्कर मार दी जिससे चालक विजय तथा सवार राजाराम एवं अन्य चार लोगो की मृत्यु हो गई तथा गोपाल गंभीर रूप से घायल हो गया। आवेदिका सुनिता बाई के कथन का समर्थन करते हुए द्वितीय क्लेम याचिका की आवेदिका सरीता बाई ने भी हुबहू वही कथन किया है और व्यक्त किया है कि उक्त दुर्घटना में उसके पति विजयसिंह जो जीप चला रहा था, की भी मृत्यु हो गई थी। दोनों ही साक्षीगण मृतकों के अलावा घटना के समय गोपाल की उपस्थिति व्यक्त करते है, जो मूल क्लेम याचिका का अ.सा.3 है, ऐसा कथन करता है कि घटना दिनांक को वह अन्य मृतक-मृतकों के साथ जीप से जा रहा था, तब भोपाल में बस का चालक बस को तेज गति व लापरवाही से चलाकर लाया और जीप में टक्कर मार दी जिससे उक्त जीप में बैठे तथा ड्रायवर विजयसिंह सवार राजाराम एवं अन्य चार लोगो की मृत्यु हो गई तथा यह आवेदक स्वयं को उक्त दुर्घटना में गंभीर चोटे आना व्यक्त करता है और अपना प्राथमिक उपचार भोपाल में होना व्यक्त करता है। साक्षी गोपाल अ.सा. 3 का अनावेदकगण की ओर से प्रभावी प्रतिपरीक्षण किया जिसमें वह ऐसा व्यक्त करता है कि वह जीप में पीछे वाली सीट पर बैठा था, जीप अपनी साइड से चल रही थी, बस भी अपनी साइड से चल रही थी किंतु इस साक्षी ने अनावेदकगण के इस सुझाव से इंकार किया है कि जीप ड्रायवर की त्रूटि के कारण दुर्घटना हुई तथा इस साक्षी ने इस सुझाव से भी इंकार किया है कि जीप ड्रायवर घटना के समय शराब पिए हुए था। साक्षीगण सुनिता बाई अ.सा.1, सरीता बाई अ.सा.2, गोपाल अ.सा.3 के कथनों में दुर्घटना के संबंध में कोई विरोधाभाष उत्पन्न नहीं हुआ है तथा चक्षुदर्शी साक्षी गोपाल ने घटना का समर्थन किया है और यह साक्षी घटना के समय उक्त जीप में यात्रा कर रहा था, जिसे बस द्वारा दुर्घटनाग्रस्त किया गया था। ऐसी दशा में वादप्रश्न क्रमांक 1 के बावत यह निष्कर्ष दिया जाता है कि दिनांक 26.05.2005 को अनावेदक क्रमांक 1 ने वाहन बस को उतावलेपन और उपेक्षा से चलाते हुए जीप को टक्कर मारकर दुर्घटना ग्रस्त किया। तदनुसार वाद बिंदु क्रमांक 1 का निष्कर्ष हां अंकित किया जाता है। क्लेम याचिका क्रमांक 1/2005 में संलग्न दस्तावेज प्र.पी.4 का अवलोकन किया जावे तो यह दस्तावेज मृतक राजाराम की पोस्टमार्टम रिपोर्ट है और इस दस्तावेज अनुसार उक्त राजाराम का पोस्टमार्टम दिनांक 27.05.2005 को किया गया था। शवपरीक्षण प्रतिवेदन में दिए गए निष्कर्ष अनुसार मृतक राजाराम की मृत्यु उसे शरीर के मार्मिक स्थलों पर चोट आने के परिणाम स्वरूप हुई थी। इसी प्रकार क्लेम याचिका क्रमांक 2/2005 में संलग्न शवपरीक्षण प्रतिवेदन प्र.पी.15 का अवलोकन किया जावे तो उक्त मृतक विजयसिंह की मृत्यु का कारण हेमाटोमा के परिणामस्वरूप होना बताया है। उक्त दोनों आहतगण को जो चोटे आई थी वह प्रश्नगत दुर्घटना में ही आना पाई जाती है क्योंकि उक्त दुर्घटना के दूसरे दिन ही शवपरीक्षण दोनों का किया गया है और दुर्घटना में ही उक्त आहतगण की मृत्यु हो गई थी। इस तथ्य का समर्थन अनुसंधान में तैयार किए गए दस्तावेज प्र.पी.1 लगायत 5 से भी होता है। जिनके अनुसार घटना स्थल पर मृतकों के शव होने संबंधी उल्लेख किया गया है। फलतः अनुसंधान में हुई कार्यवाही एवं साक्षी गोपाल अ.सा.3 के कथन एवं उक्त दोनों की पोस्टमार्टम अनुसार यह तथ्य प्रमाणित है कि उक्त गंभीर प्रकृति की दुर्घटना होने से राजाराम एवं विजय की मृत्यु हुई। तदनुसार दोनों याचिकाओं के वाद प्रश्न क्रमांक 2 का निष्कर्ष हां अंकित किया जाता है। उक्त वादप्रश्नों के संदर्भ में याचिका में प्रस्तुत दस्तावेज का अवलोकन किया जावे तो प्र.पी.8 का दस्तावेज अनुसार उक्त बस दिनांक 24.04.2005 से 23.04.2006 तक अनावेदक क्रमांक 03 दी न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के यहां बीमित थी और इस तथ्य का समर्थन अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत साक्षी प्र.सा.1 द्वारा भी किया गया है। अतः वाद बिंदु क्रमांक 3 का निष्कर्ष हां अंकित किया जाता है। बीमा कंपनी का यह बचाव रहा है कि उक्त बस बीमा की शर्तों के उल्लंघन में परिवहन की जा रही थी इस बावत बीमा कंपनी की ओर से साक्षी प्र.सा.1 का कथन भी कराया गया है जो बीमा कंपनी के प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदस्थ है और ऐसा व्यक्त करता है कि घटना भोपाल में हुई थी तथा परमिट बस को इंदौर से भोपाल रोडमार्ग के अलावा कही और जाने के लिए जारी नहीं किया था। इस कारण बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति की दायी नहीं है। इस साक्षी ने प्र.डी.1 की इन्वेस्टिगेटर रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है जो अधिवक्ता द्वारा तैयार की गई थी। साथ ही साक्षी ने यह स्वीकार किया है कि दुर्घटना का अपराध भोपाल थाने में हुआ है और प्र.डी.2 का जो परमिट प्रस्तुत किया गया है उसमें भोपाल का उल्लेख होना इस साक्षी द्वारा स्वीकार किया गया है। इस साक्षी के कथन के परिपेक्ष्य में प्र.डी.2 के परमिट का अवलोकन किया जावे तो उक्त बस के परमिट में इंदौर से भोपाल रोड से गुजरने के संबंध में जारी होना प्रकट होता है।