cits full form in hindi:- कभी सोचा है कि कैसे हाथों की सफाई और कलात्मक कौशल अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बन सकते हैं? इसका जवाब छिपा है “सीआईटीएस” यानी शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण स्कीम (Crafts Instructor Training Scheme) में। यह योजना न केवल भारतीय शिल्प परंपराओं को जीवित रखती है, बल्कि इन पारंपरिक कौशलों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए सक्षम शिल्प प्रशिक्षकों का निर्माण भी करती है।
सीआईटीएस: शिल्प के सपनों को उड़ाने के पर (Crafts Instructor Training Scheme: Skilling Craft Dreams)
शिल्प की विरासत, कौशल का वरदान | cits full form in hindi
भारत की सांस्कृतिक धरोहर शिल्पकला की अद्भभुत कहानियों से बुनी हुई है। हथकरघे पर बुनी नाजुक साड़ियां, पत्थर पर उकेरी गई मूर्तियां, लकड़ी को तराशकर बनाए गए खूबसूरत फर्नीचर – ये हस्तकला के नमूने न केवल कला बल्कि परंपरा और कौशल का भी प्रमाण हैं। मगर समय के साथ शिल्प परंपराएं विलुप्त होने के खतरे से दो-चार हैं। यही वह जगह है जहां सीआईटीएस अपनी भूमिका निभाता है।
सीआईटीएस का लक्ष्य है शिल्प प्रशिक्षकों का ऐसा समूह तैयार करना जो न केवल पारंपरिक कौशलों में निपुण हो बल्कि उन्हें सिखाने का हुनर भी रखता हो। ये प्रशिक्षक शिल्प केंद्रों और तकनीकी संस्थानों में अगली पीढ़ी के कारीगरों को प्रशिक्षित करेंगे, जिससे शिल्प परंपराओं को जिंदा रखा जा सके।
सीआईटीएस का कॅनवस, प्रशिक्षण का ब्रश
सीआईटीएस कार्यक्रम विभिन्न शिल्प क्षेत्रों जैसे लकड़ी का काम, धातु शिल्प, मिट्टी शिल्प, वस्त्र शिल्प आदि को कवर करता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में तकनीकी कौशल विकास, डिजाइन सेंस को बढ़ाना, टूल और तकनीकों का परिचय, व्यवसाय प्रबंधन कौशल का प्रशिक्षण आदि शामिल होता है। सीआईटीएस न केवल कौशल सिखाता है बल्कि रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण पर भी जोर देता है। उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित शिल्पकार अपना खुद का उद्योग शुरू कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
सफलता की कहानियां, उम्मीद की किरणें
सीआईटीएस के फलस्वरूप कई सफलता की कहानियां सामने आई हैं। ग्रामीण महिलाएं शिल्पकार बनकर आजीविका कमा रही हैं, युवा वर्ग पारंपरिक हस्तकला को आधुनिक रूप देकर सफल उद्यमी बन रहे हैं, शिल्पकला अब विदेशी बाजारों में भी अपनी पहचान बना रही है। ये सफलता की कहानियां सीआईटीएस की सार्थकता का प्रमाण हैं और भविष्य में शिल्प के विकास की उम्मीद जगाती हैं।
चुनौतियां और आगे का रास्ता
हालांकि सीआईटीएस ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, अभी भी कुछ चुनौतियां बाकी हैं। बुनियादी ढांचे का विकास, पर्याप्त फंडिंग, गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण सामग्री और बाजार की पहुंच बढ़ाना – ये कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा, युवाओं को शिल्प क्षेत्र की ओर आकर्षित करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए।
निष्कर्ष: कला, कौशल, कॅरियर
सीआईटीएस हमें यह दिखाता है कि कला और कौशल मिलकर न केवल आर्थिक प्रगति बल्कि सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह कार्यक्रम शिल्पकारों के सपनों को उड़ाने के पर देता है और भारत की शिल्प परंपराओं को भविष्य तक पहुंचाने का वादा करता है।