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MSP क्‍या है। (MSP Kya Hai)

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    MSP क्‍या है। (MSP Kya Hai) यह किससे संबंधित है, इसका निर्धारण कौन करता है।

    दोस्‍तों अक्‍सर हम खबरों में एम.एस.पी. के बारे में पढते सुनते है, तब कई बार इसके बारे में जानने की इच्‍छा होती है, ऐसे में MSP Kya Hai, एम.एस.पी. किससे संबंधित है, MSP Full Form, MSP के फायदे, आदि के बारे में हम पढ़ना चाहते है। आपके लिए हमारे द्वारा MSP Kya Hai से संबंधित सभी महत्‍पूर्ण और जानने योग्‍य बाते विस्‍तार से एवं सरल शब्‍दों दी जा रही है।

    MSP क्‍या है। MSP Kya Hai (What is MSP)

    भारत सरकार द्वारा किसानों की कुछ फसलों की न्‍यूनतम खरीदी कीमत को तय किया गया है,

    जिसे एम.एस.पी. अर्थात न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य कहते है।

    इसका प्रारंभ वर्ष 1966-67 से किया गया है।

    MSP Full Form :- Minimum Support Price

    भारत में शासकीय राशन दुकानों से गरीब परिवारों को कम कीमत पर अनाज उपलब्‍ध कराया जाता है,

    जिस हेतु सरकार द्वारा एम.एस.पी. पर किसानों से फसल खरीदी जाती है।

    MSP Kya Hai

    MSP Kya Hai एमएसपी सेे संबि‍धित आवश्‍यक Full Form:-

    CACP Full Form :- Commission for Agricultural Costs and Prices

    FCI Full Form :- Food Corporation of India

    PDS Full Form :- Public Distribution System

    NAFED Full Form :- National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India

    Minimum Support Price कौन तय करता है :-

    एम.एस.पी. का निर्धारण (CACP) कृषि लागत एवं मूल्‍य आयोग के द्वारा किया जाता है।

    यह आयोग लगभग सभी फसलों के दाम निर्धारित करता है।

    इस आयोग द्वारा समय के आधार पर फसल उत्‍पादन में लगने वाली लागत के आधार पर ही फसलों के लिए न्‍यूनतम कीमत तय की जाती है।

    इसके उपरांत तय की गई कीमतों का प्रस्‍ताव सरकार को भेजा जाता है, इसके उपरांत सरकार द्वारा एम.एस.पी. की घोषणा की जाती है।

    *गन्‍ना की फसल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य गन्‍ना आयोग द्वारा तय किया जाता है।

    एम.एस.पी. कब लागू किया जाता है:-

    एम.एस.पी. का मूल्‍यांकन प्रति वर्ष फसल आने से पहले ही किया जाता है।

    MSP का उद्देश्‍य :-

    न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य का मुख्‍य उद्देश्‍य भारत के किसानों को उनकी फसल उत्‍पादन की मेहनत के अनुसार एक निर्धारित मूल्‍य प्रदान करना है।

    साथ ही अनाजों की खरीद-फरोख्‍त में पहले बिचौलिए फायदा उठाते थे, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्‍य नहीं मिल पाता था, परंतु Minimum Support Price के कारण किसानों को इस दुविधा से निजात मिली है।

    कई बार किसी एक फसल का उत्‍पादन अधिक होने पर उसके बाजार मूल्‍य में कमी आ जाती है, ऐसे में किसानों के लिए चिंता का विषय होता है कि फसल की लागत निकलेगी या नहीं,

    ऐसे में एम.एस.पी. इस बात की गारंटी देता है कि किसानों को उनकी लागत अनुसार मूल्‍य जरूर मिलेगा।

    सरकार Minimum Support Price के अनुसार ही फसलों को खरीदती है, ताकि किसानों की आय में कमी न आए।

    Minimum Support Price किन फसलों के लिए लागू किया गया है (MSP for Crops):-

    वर्तमान में एम.एस.पी. रबी और खरीब की फसल तथा अन्‍य फसलों की कुल 23 फसलों के लिए लागू किया गया है।

    जिनमें अनाज की 7 फसलों को, तिलहन की 7 फसलों को, दलहन की 5 फसलों को तथा 4 व्‍यवसायिक फसलों को शामिल किया गया है।

    इन फसलों में धान, गेंहू, जौ, चना, बाजरा, मक्‍का, तुअर, उडद, मसूर, मूंग, गन्‍ना, सूरजमूखी, सोयाबीन, कपास, सरसों, जूट आदि शामिल है।

    अनाज वाली 7 फसलें

    1. गेंहू
    2. चावल
    3. मक्‍का
    4. ज्‍वार
    5. बाजरा
    6. जौ
    7. खमीर

    तिलहन वाली 7 फसलें

    1. मूंगफली
    2. सोयाबीन
    3. सरसौ
    4. तिल
    5. सूरजमुखी
    6. कुसुम
    7. रामतिल (नाईजर)

    दलहन की 5 फसले:-

    1. चना
    2. उडद
    3. मूंग
    4. मसूर
    5. तुअर

    4 व्‍यवसायिक फसले:-

    1. नारियल
    2. कपास
    3. जूट
    4. गन्‍ना

    MSP का फायदा (Benefits of MSP) :-

    किसानों की मेहनत का पूरा फायदा उनको मिलता है।

    बाजार में फसल का दाम चाहे कम हो, लेकिन न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य जरूर मिलेगा।

    सरकार एम.एस.पी. पर ही फसल खरीदती है।

    किसानों के लिए फायदा:-

    किसानो को अपनी फसल उत्‍पादन की पूरी लागत मिलती है।

    फसलों के बाजार मूल्‍य में कमी होने पर भी किसान की आय में कमी नहीं होती है।

    किसान बाजार के बिचौलियों से बचते है।

    किसान को यह भरोसा रहता है, कि उन्‍हें अपनी फसल का समर्थन मूल्‍य जरूर मिलेगा।

    एम.एस.पी. कैसे निर्धारित किया जाता है (MSP formula):-

    फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को तय करने के लिए कृषि सुधार समितियों द्वारा कई प्रकार की गई।

    जिसमें डा. एम.एस. स्‍वामीनाथन समिति की सिफारिश को वर्तमान भारत सरकार द्वारा अमल किया गया।

    वर्तमान में किसी फसल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य उसकी उत्‍पादन लागत का कम से कम डेढ गुणा रखा गया है।

    इसके अलावा विभिन्‍न मापदंडों का ध्‍यान रखा जाता है:-

    1. एक व्‍यक्ति पर खपत होने अनाज की मात्रा कितनी है।
    2. एक परिवार पर औसत खपत होने वाले अनाज की मात्रा कितनी है।
    3. देश के विभिन्‍न क्षेत्रों में होने वाली किसी विशेष फसल में लगने वाली लागत।
    4. फसल के प्रति क्विंटल की उत्‍पादन लागत।
    5. आगामी वर्ष में फसल उत्‍पादन एवं कीमत में आने वाले बदलाव।
    6. सरकारी की विभिन्‍न एजेंसियों की भण्‍डारण क्षमता।
    7. अनाज की उपलब्‍धता एवं आवश्‍यकता
    8. अनाज के एक जगह से दूसरे जगह ढोने का खर्च

    किसानों से खरीद कैसे होती है (Crop Procurement)

    प्रत्‍येक वर्ष फसलों की बुआई से पहले ही फसलों का एम.एस.पी. तय किया जाता है।

    सरकार द्वारा विभिन्‍न एजेंसियों के माध्‍यम से किसानों से फसलों के एम.एस.पी. पर अनाज की खरीदी की जाती है।

    सरकार द्वारा अनाज खरीदी के बाद FCI और NAFED के पास अनाज को संग्रहित किया जाता है।

    इन स्‍टॉक का उपयोग (PDS) सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गरीब परिवारों को राशन कार्ड के का माध्‍यम से कम कीमत पर अनाज प्रदान किया जाता है।

    कई बार जब किसी फसल विशेष के मूल्‍य में अनियमित वृद्धि होती है तब सरकार अपने स्‍टॉक से फसलों को बाजार में निकालती है, ताकि फसलों की कीमत अनुमानित बनी रहे।

    सब्जियों हेतु एम.एस.पी. :-

    भारत में केरल पहला राज्‍य है जिसने सब्जियों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को लागू किया है।

    केरल सरकार अनुसार सब्जियों का समर्थन मूल्‍य, उत्‍पादन लागत से 29 प्रतिशत अधिक होगी।

    इसके अंतर्गत वर्तमान में 16 सब्जियों हेतु एम.एस.पी. लागू किया गया है।

    MSP Kya Hai का Conclusion

    हमारे द्वारा अपने लेख को सरल हिन्‍दी भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है,

    जिसमें आपको जानने हेतु आवश्‍यक सभी क्षेत्रों की जानकारीयां संग्रहित की गई है।

    यदि आपको हमारा लेख अच्‍छा लगा एवं आपको MSP Kya Hai के बारे में आवश्‍यक जानकारीयों अच्‍छी लगी हो तो इस लेख को अपने मित्रों तथा इससे संबंधित व्‍यक्तियों के साथ इसे Share करें। तथा यदि आपका कोई प्रश्‍न है तो आप हमें कमेंट्स कर सकते है।

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