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Computer Memory in hindi

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    Computer Memory in hindi पोस्‍ट के माध्‍यम से आप कम्‍प्‍यूटर की विभिन्‍न मेमोरी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्‍त कर सकते है।

    Table of Contents

    मेमोरी क्‍या है | Computer Memory Kya hai | What is memory in hindi:-

    Computer Memory in hindi
    Computer Memory in hindi

    कम्प्यूटर मेमोरी हमारे दिमाग की भांति होती है। 

    जिस प्रकार हम कई चीजें अपने दिमाग में सेव रखते है तथा याद करने पर वे पुनः हमें याद आ जाती है, 

    उसी प्रकार कम्प्यूटर भी उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यो एवं अन्य चीजों को सेव करके रखता है तथा आवश्यकता पडने पर उन्हें उपलब्ध कराता है। 

    यह कार्य कम्प्यूटर में मेमोरी द्वारा किया जाता है।

    मेमोरी एक प्रकार की सेमीकंडक्टर चिप (semiconductor memory in hindi) होती है, जो कई सारे सेल से मिलकर बनी होती है, जिन्हें Memory Location कहते है। 

    हर एक लोकेशन का स्वयं का एक यूनिक लेबल होता है, जिसे उस सेल का एड्रेस कहते है। 

    इन सेलो का उपयोग डाटा तथा निर्देशों को संरक्षित करने अर्थात सेव करने के लिए किया जाता है।

    किसी भी मेमोरी के दो मुख्य कार्य होते है, रीड तथा राईट।

    रीडः- जब किसी मेमोरी में डाटा को संरक्षित किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को डाटा रीड करना कहते है।

    राईटः- जब मेमोरी में संरक्षित किसी डाटा की आवश्यकता होने पर उसे प्राप्त किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को डाटा राईट करना कहते है।

    मेमोरी के प्रकार | Types of Memory in hindi | Classification of memory:-

    मेमोरी के कई प्रकारों में कुछ मेमोरी डाटा को कुछ समय के लिए सेव रखती है, तो कुछ हमेशा के लिए सेव रखती है, 

    इसी प्रकार किसी मेमोरी की डाटा रीड तथा राईट की गति अधिक होती है, तो किसी की गति कम होती है। 

    इन्हीं विभिन्न तथ्यों के आधार पर Computer Memory को निम्न प्रकारो में बांटा गया हैः-

    Primary Memory in hindi and Secondary Memory in hindi

    1. प्राथमिक मेमोरी अथवा मेन मेमोरी | Primary Computer Memory in hindi | Primary memory kya hai:-

    यह कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी (Main Memory of Computer) होती है। 

    मुख्य मेमोरी तथा प्रोसेसर के मध्य डाटा को रीड-राईट करने की प्रक्रिया काफी तीव्र होती है। 

    वास्तव में कम्प्यूटर में कार्य करते समय जो भी फाईल खुलती है अथवा जो भी कार्य कार्यशील होता है, 

    वह सब प्राथमिक मेमोरी अथवा मेन मेमोरी में ही होता है। 

    सभी प्रोसेसिंग प्रक्रिया के होने के लिए आवश्यक डाटा तथा निर्देश इसी मेमोरी में संग्रहित होते है,

    तथा प्रोसेसिंग में भाग लेते है। प्राथमिक मेमोरी निम्न प्रकार की होती हैः-

    1.1 रेम मेमोरी अथवा अस्थाई मेमोरी अथवा वोलेटाईल मेमोरी | RAM Memory in hindi | Volatile Memory in hindi of Computer | Volatile Memory kya hai:-

    RAM MEMORY IN HINDI

    जब हम रेम के बारे में पढते है, तो हमारे मन से प्रश्‍न आता है कि

    RAM ka full form kya hai or RAM ka pura naam kya hai :- Random Access Memory

    इसके बाद हम पढते है, RAM kya hai तथा RAM kya hota hai व RAM ka matlab kya hota hai

    इसे रेंडम एक्सेस मेमोरी | Random Access Memory भी कहते है। यह एक प्रकार की वोलेटाईल मेमोरी है, अर्थात इसमें डाटा टेम्प्रेरी रूप से संग्रहित होता है। 

    लाईट के जाने अथवा कम्प्यूटर बंद करने पर इस मेमोरी में संरक्षित डाटा स्वयं मिट जाता है। 

    रेंडम एक्सेस मेमोरी का तात्पर्य है कि इस मेमोरी से डाटा को रीड करने हेतु कोई निश्चित क्रम की आवश्यकता नहीं होती है, 

    इससे डाटा को किसी भी क्रम में पढ़ा जा सकता है। 

    इसकी डाटा रीड-राईट की गति बहुत तेज होती है। 

    यह सेमीकंडक्टर चीप होती है। RAM Computer Memory in hindi दो प्रकार की होती हैः-

    Static Ram and Dynamic Ram

    1.1.1 डायनेमिक रेम | Dynamic Ram memory in hindi:- 

    इसे डी-रेम भी कहते है। इस मेमोरी में प्रत्येक सेल एक रजिस्टर तथा एक केपेसिटर से मिलकर बना होता है। 

    यह मेमोरी स्वयं ही बार-बार रिफ्रेश होती है। इसकी डाटा रीड-राईट की गति कम होती है। 

    इसकी कीमत कम होती है साथ ही यह मदरबोर्ड पर कम स्थान घेरती है।

    1.1.2 स्टेटिक रेम | Static Ram memory in hindi:-

    इसे एस-रोम भी कहते है। इस मेमोरी में प्रत्येक सेल के लिए एक से अधिक रजिस्टर का उपयोग होता है, 

    इसमें केपेसिटर का उपयोग नहीं होता है। यह बार-बार रिफ्रेश नहीं होती है। 

    इसका उपयोग अधिकांशतः कैश मैमोरी के रूप में किया जाता है।

    1.2 रोम मेमोरी अथवा स्थाई मेमोरी अथवा नॉन-वोलेटाईल मेमोरी | ROM Memory in hindi | Non-Volatile memory | Permanent Memory of Compute:-

    ROM MEMORY IN HINDI

    rom ka full form kya hai :- Read only Memory

    ROM kya hai :- इसे रीड ऑनली मेमोरी | Read only Memory भी कहते है। यह नॉन-वोलेटाईल मेमोरी है, 

    इसमें संरक्षित डाटा कम्प्यूटर बंद होने अथवा लाईन जाने पर भी संरक्षित रहता है। 

    इसमें संरक्षित डाटा अथवा प्रोग्राम कम्प्यूटर में पॉवर सप्लाई के ऑन होने पर स्वतः क्रियान्वित हो जाते है। 

    जैसे कम्प्यूटर में बायोस (बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम) जो कि एक रोम की चिप पर प्रोग्राम के रूप में सेव रहता है, 

    कम्प्यूटर में पॉवर ऑन होते ही स्वतः क्रियान्वित हो जाता है। 

    यह सिलिकॉन की बनी चिप होती है।

    रीड ऑनली मेमोरी से डाटा को केवल रीड किया जा सकता है, 

    इसमें कोई डाटा राईट नहीं किया जा सकता है।

    सामान्यतः रोम को बनाते समय ही इसमें कुछ प्रोग्राम को संरक्षित किया जाता है, जिसे न तो बदला जा सकता है 

    और न ही उसमें राईट किया जा सकता है। इसके कई प्रकार भी आते है, 

    जिनमें डाटा को राईट अथवा रिप्रोग्राम किया जा सकता है, इसके निम्न प्रकार हैः-

    1.2.1 मास्क्ड-रोम | Masked ROM Computer Memory in hindi:-

    इसे मास्क्ड रीड ऑनली मेमोरी | Masked Read Only Memory भी कहते है। यह रोम मेमोरी का सबसे पुराना वर्जन है। 

    इस प्रकार की रोम मेमोरी में प्रोग्राम तथा इन्स्ट्रक्शन को इसे बनाते समय ही संरक्षित कर दिया जाता है। 

    इसके प्रोग्राम में पुनः बदलाव नहीं किया जा सकता है न ही प्रोग्राम को हटाया जा सकता है।

    1.2.2 पी-रोम | PROM kya hai | PROM in hindi:-

    इसे प्रोग्रामेबल रीड ऑनली मेमोरी | Programmable Read Only Memory भी कहते है। इसमें केवल एक बार प्रोग्राम को लिखा जा सकता है। 

    एक बार प्रोग्राम लिखने के बाद उसे दुबारा बदला अथवा रिप्रोग्राम नहीं किया जा सकता है। 

    पी-रोम को बनाते समय इन्हें ब्लेंक रखा जाता है, 

    अर्थात इसमें कोई प्रोग्राम संरक्षित नहीं रहता है। 

    यूजर द्वारा अपनी आवश्यकता अनुसार इसमें एक बार प्रोग्राम को लिखा जाता है। 

    सामान्यतः इसका उपयोग मोबाईल फोन, गेमिंग कंसोल डिवाईस तथा मेडिकल डिवाईसों में होता है। 

    खाली पी-रोम में प्रोग्राम लिखने के लिए एक विशेष टूल पी-रोम प्रोग्रामर अथवा पी-रोम बर्नर की आवश्यकता होती है। 

    पी-रोम, वन टाईम प्रोग्रामेबल डिवाईस है। जिस पर एक बार प्रोग्राम लिखने के बाद दुबारा उसे बदला नहीं जा सकता है।

    1.2.3 ई.पी.-रोम | EPROM in hindi:-

    इसे इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ऑनली मेमोरी भी कहते है। यह पी-रोम की तरह ही होती है, 

    इसमें अंतर इतना है कि इस पर लिखे प्रोग्राम को उच्च तीव्रता की अल्ट्रावॉयलेट तरंगों के माध्यम से मिटाया जा सकता है, 

    तथा पुनः नया प्रोग्राम लिखा जा सकता है।

    eprom full form in hindi :- Eragable Programmable Read Only Memory 

    ई.पी.-रोम में रिप्रोग्राम करने अर्थात दुबारा प्रोग्राम लिखने के लिए एक विशेष टूल पी-रोम प्रोग्रामर अथवा पी-रोम बर्नर की आवश्यकता होती है। 

    इसे अल्ट्रावॉयलेट इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ऑनली मेमोरी भी कहते है।

    1.2.4 ई.ई.पी.-रोम | EEPROM kya hai | computer memory in hindi:-

    इसे इलेक्ट्रिकली इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ऑनली मेमोरी भी कहते है। यइ ई.पी.-रोम की तरह ही है, 

    eeprom full form in hindi :-Electically Eragable Programmable Read Only Memory

    अंतर इतना है कि इसमें प्रोग्राम को मिटाने के लिए अल्ट्रावॉयलेट तरंगों के स्थान पर इलेक्ट्रिकल पल्स का उपयोग किया जाता है। 

    इसमें डाटा को मिटाने की गति कम होती है, इसमें एक समय पर प्रोग्राम के एक बाईट को लिखा या मिटाया जा सकता है।

    1.2.5 फ्लेश-रोम | Flash ROM in hindi:-

    यइ ई.ई.पी.-रोम का एडवांस वर्जन है। 

    इसमें डाटा को फ्लोटिंग गेट ट्रांजिस्टर से बने मेमोरी सेल को एरे के रूप में व्यवस्थित कर मेमोरी में संरक्षित किया जाता है। 

    इसकी प्रोग्राम लिखने तथा डिलीट करने की गति ज्यादा होती है। 

    इसका उपयोग यू.एस.बी. फ्लेश ड्राइव, डिजीटल कैमरा, मोडेम, एम.पी.3 प्लेयर तथा एस.एस.डी. ड्राइव आदि में किया जाात है।

    साथ ही कई एडवांस कम्प्यूटरों में बायोस अर्थात बेसिक इनपुट-आउटपुट सिस्टम को फ्लेश मेमोरी चिप पर ही संरक्षित किया जाता है।

    1.3 इंटरनल प्रोसेसर मेमोरी अथवा कैश मेमोरी अथवा मेमोरी रजिस्टर | cache memory in hindi | Internal Processor Memory | cache memory in computer architecture in hindi | Memory Register | fastest memory in computer:- |

    कम्प्यूटर प्रोसेसर में उच्च गति से कार्य करने वाले मेमोरी रजिस्टर लगे होते है, जो प्रोसेसर तथा प्राथमिक मेमोरी के मध्यस्थ के रूप में कार्य करते है। 

    इस मेमोरी का उपयोग प्रोसेसर द्वारा सीधे किया जा सकता है। 

    इसकी डाटा संचरण की गति बहुत तेज होती है।

    इसमें प्रोसेसिंग प्रक्रिया में बार-बार उपयोग होने वाले डाटा तथा निर्देशों को सेव किया जाता है, जिससे प्रोसेसर तथा मेमोरी के मध्य प्रोसेस की गति काफी तेज हो जाती है। 

    इन रजिस्टर की कीमत बहुत अधिक होती है।

    2. द्वितीयक मेमोरी अथवा Secondary Memory in hindi | Secondary Memory kya hai:-

    इसे सहायक मेमोरी भी कहा जाता है। मुख्य मेमोरी की गति सेकेण्डरी मेमोरी से अधिक होती है, लेकिन इनकी डाटा संग्रहण की क्षमता कम होती है। 

    हमें कम्प्यूटर में बहुत अधिक मात्रा में डाटा को सेव करने की आवश्यकता होती है। 

    ऐसे में इस कार्य के लिए द्वितीयक मेमोरी अथवा सेकेण्डरी मेमोरी का उपयोग करते है। 

    इसका उपयोग बेकअप के रूप में किया जाता है। सी.पी.यू. द्वारा सेकेण्डरी मेमोरी को सीधे एक्सेस नहीं किया जा सकता है, 

    इसके लिए सबसे पहले सेकेण्डरी मेमोरी से डाटा को प्राथमिक मेमोरी में कॉपी करना होता है। 

    इसमें ऐसे डाटा और प्रोग्राम को स्टोर किया जाता है, जिनका वर्तमान में उपयोग नहीं हो रहा होता है। 

    सेकेण्डरी मेमोरी नॉन-वोलेटाईल मेमोरी होती है अर्थात इसमें संरक्षित डाटा स्वयं डिलीट नहीं होता है तथा पॉवर ऑफ होने पर भी संरक्षित रहता है। 

    सेकेण्डरी मेमोरी, डाटा संग्रहण की क्षमता, डाटा रीड-राईट की गति आदि कई फीचर्स के आधार पर कई प्रकार की होती है, 

    कुछ सामान्यतः उपयोग में आने वाले प्रकार के बारे में हम नीचे जानेंगेः-

    2.1 हार्ड डिस्क ड्राइव अथवा एच.डी.डी | Hard Disk Drive | Hard Disk in hindi | hard disk kya hai:-

    HARD DISK DRIVE

    यह एक नॉन-वोलेटाईल मेमोरी डिवाईस है, जिसके डाटा को रेंडमली रीड तथा राईट किया जा सकता है। 

    इसमें डाटा को स्टोर करने के लिए मैग्नेटिक पदार्थ की परत चढी हुई गोलाकार डिस्क का उपयोग होता है, जो घूम सकती है। 

    कम्प्यूटर के सभी स्थाई प्रोग्राम जैसे कोई एप आदि हार्ड डिस्क में ही स्टोर होते है। इसे सी-ड्राईव भी कहते है। 

    वर्तमान में हार्ड डिस्क की क्षमता बहुत अधिक होती है, 

    ऐसे में हार्ड डिस्क को कम्प्यूटर में वर्जुअल रूप से एक से अधिक पार्टिशन में बांटा जा सकता है, जैसे सी-ड्राईव, डी-ड्राईव आदि

    हार्ड डिस्क की संरचना | Structure of Hard Disk:-

    यह एक छोटे बॉक्स के आकार की होती है। जिसमें धातू की कई सारी गोल प्लेटे लगी होती है, जिन्हें डिस्क प्लाटर भी कहते है, जो डाटा के संग्रहण का कार्य करती है, 

    प्रत्येक डिस्क की सतह पर मैग्नेटिक पदार्थ की परत चढी होती है। 

    सभी डिस्क एक लोहे की छड में लगी होती है, जो कि स्पिंडल कहलाती है, यह छड एक विद्युत मोटर से कनेक्ट रहती है। 

    जैसे ही मोटर छड को घुमाती है, तो इसमें लगी सभी प्लेटे एक साथ घूमती है। 

    डिस्क की प्रत्येक सतह के लिए रीड/राइट हेड होते है, 

    यह सभी रीड/राईट हेड एक सिंगल एक्सेस आर्म से जुडे होते है जो कि एक्टेटर के माध्यम से मूव करते है। 

    छड में लगी डिस्कों में सबसे ऊपर की डिस्क तथा सबसे नीचे की डिस्क को छोडकर अन्य सभी डिस्क की दोनों सतहों पर डाटा को संरक्षित किया जाता है।

    हार्ड डिस्क के मुख्य भाग | Main Part of Hard Disk in hindi:-

    हार्ड डिस्क अलग-अलग काम्पोनेंट से मिलकर बने होते है, जिनके बारे में हम विस्तार से जानते हैः-

    डिस्क प्लॉटर | Disk Platter:-

    यह धातू की बनी गोल प्लेटे होती है, जिनकी प्रत्येक सतह पर मैग्नेटिक पदार्थ की परत चढी होती है, जो कि कई सारे चुम्बकीय वृत्त के आकार में होती है, 

    इन वृत्तों को ट्रेक कहा जाता है। 

    यह ट्रेक भी पुनः छोटे-छोटे खण्डों में बंटे होते है, जिन्हें सेक्टर कहा जाता है। 

    इन ट्रेक तथा सेक्टर की संख्या से मिलकर मेमोरी एड्रेस बना होता है, 

    जिसके माध्यम से कम्प्यूटर यह पता करता है, कि कौन सी फाईल किस स्थान पर संरक्षित की गई है।

    डिस्क को ट्रेक तथा सेक्टर में डिवाईड किया जाता है ताकि कम्प्यूटर तेजी से डाटा को रीड-राईट कर सके।

    स्पिन्डल | Spindle:-

    हार्ड डिस्क की सभी डिस्क एक छड में लगी होती है, इस छड को स्पिन्डल कहते है। 

    स्पिन्डल प्लेटो को आवश्यकता अनुसार घुमाने का कार्य करता है। 

    किसी स्पिन्डल के घूमने की गति के आधार पर ही तय होता है कि किसी हार्ड डिस्क कितनी गति में डाटा को रीड-राईट किया जा सकता है। 

    स्पिन्डल में सभी डिस्क के बीच एक निश्चित दूरी होती है, 

    ताकि रीड-राईट हेड तथा आर्म आसानी से उसकी सतह को एक्सेस कर सके।

    रीड-राईट हेड | Read-Write Head:-

    हार्ड डिस्क में डिस्क पर डाटा को राईट करने तथा डिस्क से डाटा को रीड करने हेतु रीड-राईट हेड लगे होते है। 

    रीड-राईट हेड, डिस्क पर डाटा को राईट करने के लिए डिस्क की मैग्नेटिक सतह को इलेक्ट्रिक करंट में बदलती है। 

    डिस्क की प्रत्येक सतह के लिए अलग-अलग रीड-राईट हेड होते है। 

    रीड-राईट हेड, रीड-राईट आर्म की मदद से डिस्क के विभिन्न मेमोरी लोकेशन पर मूव करते है।

    रीड-राईट आर्म्‍स | Read-Write Arms:-

    हार्ड डिस्क में रीड-राईट हेड, रीड-राईट आर्म से जुडे होते है, 

    जिनकी मदद से रीड-राईट हेड, डिस्क के विभिन्न मेमोरी लोकेशन पर पहुंचते है, तथा डाटा को रीड-राईट करते है। 

    कम्प्यूटर के विभिन्न निर्देशों के आधार पर रीड-राईट आर्म, डिस्क की सही मेमोरी लोकेशन पर रीड-राईट हेड की स्थिति को निश्चित करता है। 

    रीड-राईट आर्म को हेड आर्म तथा एक्टेटर आर्म भी कहते हैं।

    एक्टेटर | Actator:-

    जिस प्रकार स्पिन्डल की मदद से डिस्क घूमती है, उसी प्रकार रीड-राईट आर्म भी डिस्क की विभिन्न मेमोरी लोकेशन पर मूव करता है, 

    ताकि रीड-राईट हेड का सही लोकेशन पर पहुंचाया जा सके। 

    रीड-राईट आर्म को मूव करने हेतु यह एक्टेटर या हेड एक्टेटर से जुडा होता है, जो कि एक मोटर होती है। 

    एक्टेटर, ड्राईव सर्किट बोर्ड के निर्देशानुसार रीड-राईट आर्म को डिस्क की मेमोरी लोकेशन पर मूव करती है। 

    साथ ही यह डाटा के रीड तथा राईट ऑपरेशन को भी नियंत्रित करता है।

    अन्य काम्पोनेंट | Other Components:-

    इसके अलावा भी हार्ड डिस्क के कुछ भाग होते है, जैसे एक बॉक्स जिसमें अन्य सभी काम्पोनेंट को व्यवस्थित किया जाता है, 

    सर्किट बोर्ड, हार्ड डिस्क को सी.पी.यू. से कनेक्ट करने हेतु विभिन्न पोर्ट आदि।

    हार्ड डिस्क के प्रकार | Types of Hard Disk in hindi:-

    हार्ड डिस्क को उपयोग करने तथा उसे एक डिवाईस से दूसरी डिवाईस में उपयोग करने के आधार पर हार्ड डिस्क दो प्रकार की होती हैः-

    2.1.1 नॉन-पोर्टेबल हार्ड डिस्क | Non-Portable Hard Disk:-

    पहले कम्प्यूटर में जो हार्ड डिस्क आती थी, वह सी.पी.यू. केश बॉक्स में फिक्श रहती थी, जिसे बार-बार निकाला नहीं जा सकता था 

    अर्थात इसे केवल एक कम्प्यूटर के लिए उपयोग किया जा सकता था।

    इन्हें नॉन-पोर्टेबल हार्ड डिस्क कहते है।

    2.1.2 पोर्टेबल हार्ड डिस्क | Portable Hard Disk:-

    वर्तमान समय अलग-अलग टैक्नोलॉजी एवं पोर्ट के विकास के साथ पोर्टेबल हार्ड डिस्क भी उपलब्ध है। 

    जिन्हें एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में आसानी से उपयोग किया जा सकता है। 

    इन्हें एक जगह से अन्य जगहों पर उपयोग किया जा सकता है, इसलिए इन्हें पोर्टेबल हार्ड डिस्क कहते है।

    2.2 फ्लॉपी डिस्क | Floppy Disk in hindi | Floppy disk kya hai:-

    FLOPPY DISK

    यह भी एक प्रकार की स्टोरेज डिवाईस है।

    इसकी डाटा संग्रहण की क्षमता बहुत कम होती है।

    इसे फ्लॉपी भी कहते है। 

    सबसे पहले जब फ्लॉपी डिस्क को बनाया गया था, तब यह रीड ऑनली मेमोरी की तरह कार्य करती थी, 

    बाद में इसे विकास के साथ-साथ इसे रीड तथा राईट दोनों कार्यो के लिए उपयोग होने लगी। 

    यह अलग-अलग आकारो में उपलब्ध होती है।

    सामान्यतः यह डिस्क 8 इंच, 5.5 इंच, 5.25 इंच तथा 3.5 इंच के साइज में उपलब्ध है। 

    सबसे पहले के वर्जन की डाटा संग्रहण की क्षमता बहुत कम लगभग 80 के.बी. थी, इसके बाद इसके विकास के साथ इसकी संग्रहण क्षमता 1.44 एम.बी. तक हो गई।

    फ्लॉपी डिस्क की संरचना | Structure of Floppy Disk:-

    इसमें एक प्लास्टिक की गोल डिस्क होती है, जिस पर आयरन ऑक्साइड की परत चडी होती है।

    यह डिस्क एक प्लास्टिक के चोकोर कवर में होती है। 

    इस कवर में डिस्क को रीड-राईट करने हेतु एक स्लॉट दिया जाता है। 

    इसमें मैग्नेटिक रीड-राईट हेड होते है, जो डिस्क की दोनों सतह को एक्सेस कर सकते है तथा एक सर्किट बोर्ड होता है। 

    फ्लॉपी डिस्क के कवर को खोला जा सकता है।

    साथ ही इसमें एक स्पिन्डल लगा होता है, जिससे डिस्क घूमती है।

    2.3 मैग्नेटिक टेप | Magnetic Tap in hindi:-

    पहले हम टेप अथवा डेग में गाने अथवा रिकॉर्डिंग सुनने के लिए कैसेट उपयोग करते थे,

    उसमें मैग्नेटिक टेप के सिद्धांत का उपयोग ही किया जाता था। 

    इसमें एक पॉलिस्टर अथवा प्लास्टिक की बनी रिबन होता है, जो लगभग 2400 से 3600 फिट लंबी तथा 12.5 एम.एम. से 25 एम.एम. तक चौडा होता है,

    इस पर चुम्बकीय पदार्थ की परत चढी होती है तथा यह रील में लिपटी होती है। 

    इस पर बहुत अधिक संख्या में डाटा को संग्रहित किया जा सकता है। 

    इसमें डाटा, रीबन पर छोटे-छोटे मैग्नेटिक तथा नॉन मैग्नेटिक सेग्मेंट के रूप में संग्रहित होता है। 

    मैग्नेटिक टेप को सीरियल या सीक्वेंशियल एक्सेस डिवाईस भी कहते है, क्योंकि इसमें लगा रिबन एक लम्बी पट्टी के रूप में होता है, 

    जिससे इस पर रिकॉर्ड अथवा डाटा को एक के पीछे एक के क्रम में स्टोर किया जाता है, 

    तथा इसे रीड भी उसी क्रम में किया जा सकता है अर्थात यदि हमें 10 वा रिकार्ड रीड करना है, तो पहले 1 से लेकर 9 तक के रिकॉर्ड रीड करने होंगे, उसके बाद 10 वां रिकॉर्ड रीड किया जा सकेगा। 

    इसमें डाटा का कितनी बार भी रीड-राइट तथा मिटाया या बदला जा सकता है। 

    मैग्नेटिक टेप में डाटा को रीड-राईट करने के लिए मैग्नेटिक टेप ड्राइव की आवश्यकता होती है। 

    मैग्नेटिक टेप में रीबन दो रील पर लिपटा होता है,

    जो रीड-राइट करते समय एक रील से दूसरे रील पर लिपटता है, तथा पुनः दूसरे रील से पहले रील पर लिपटता है।

    2.4 सी.डी. | CD in hindi | Compact Disk Computer Memory:-

    CD

    cd ka full form kya hai :- Compact Disk

    cd kya hai :-

    इसे काम्पेक्ट डिस्क तथा ऑप्टिकल डिस्क भी कहते है। 

    इसकी कीमत बहुत कम होती है तथा इसकी पापूलेरिटी बहुत अधिक है। 

    इसमें बहुत अधिक डाटा लगभग 640 एम. बी. से 1 जी.बी. तक स्टोर किया जा सकता है। 

    सी.डी. में डाटा को रीड तथा राइट करने के आधार पर निम्न प्रकार की होती हैः-

    2.4.1 सी.डी.-रोम | CD ROM in hindi | CD rom kya hai:-  

    इसमें ऑप्टीकल डिस्क के ऊपर डाटा को स्थायी रूप से अंकित किया जाता है। 

    cd rom full form in hindi :- Compact Disk Read Only Memory.

    इस प्रकार की सी.डी. में पहले से डाटा डला होता है, 

    जैसे मूवी अथवा फिल्म की सी.डी. अथवा किसी साफ्टवेयर की सी.डी. आदि। यह एक रीड ऑनली मेमोरी है। 

    इसे केवल रीड किया जा सकता है। 

    इसके डाटा को मिटाया अथवा बदला नहीं जा सकता है। सी.डी. रोम के डाटा को रीड करने के लिए सी.डी. ड्राइव की आवश्यकता होती है।

    2.4.2 सी.डी.-रिकॉर्डेबल | CD Recordable Computer Memory in hindi :- 

    इसे डब्लयू.ओ.आर.एम. अथवा राईट वन्स रीड मेनी डिस्क भी कहते है। यह सी.डी. ब्लेंक मिलती है। 

    इसमें एक बार डाटा को राईट किया जा सकता है, तथा एक बार डाटा राईट करने के बाद उस डाटा को मिटाया नहीं जा सकता है और न ही उसे बदला जा सकता है, केवल रीड किया जा सकता है। 

    सी.डी. रोम के डाटा को रीड करने के लिए सी.डी. ड्राइव की आवश्यकता होती है 

    तथा इस पर डाटा को राईट करने के लिए सी.डी. राईटर की आवश्यकता होती है, 

    इसमें लेजर बीम की मदद से सीडी की सतह पर बहुत छोटे गड्ढे बनाकर डाटा को सेव किया जाता है। यह एक रीड ऑनली मेमोरी है।

    2.4.3 सी.डी.-आर.डब्लयू. | CD RW:- 

    इसे काम्पेक्ट डिस्क रीड राईट भी कहते है। 

    इस सी.डी. के डाटा को बार-बार रीड तथा राईट किया जा सकता है। 

    इस प्रकार की सी.डी. को रीड तथा राईट करने के लिए सी.डी.-आर.डब्ल्यू. ड्राइव की आवश्कता होती है। 

    2.5 डी.वी.डी. | DVD in hindi | Digital Video Disk Computer Memory:-

    DVD

    DVD ka full form kya hai | dvd full form in hindi :- Digital Video Disk

    DVD kya hai:-

    इसे डिजीटल वीडियों डिस्क अथवा डिजीटल वर्सेटाईल डिस्क कहते है।

    यह भी सी.डी. की तरह ही होती है। इसकी संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है। 

    इसमें डाटा को सीडी की एक अथवा दोनों सतहों पर राईट किया जा सकता है। 

    इसकी संग्रहण क्षमता लगभग 4.7 जी.बी. से 17.08 जी.बी. के लगभग होती है।

    2.5.1 डी.वी.डी.-रोम | DVD ROM:-

    इसमें डाटा को स्थायी रूप से अंकित किया जाता है। इस प्रकार की डी.वी.डी. में पहले से डाटा डला होता है, जैसे मूवी अथवा फिल्म की डी.वी.डी. आदि। 

    यह एक रीड ऑनली मेमोरी है। इसके डाटा को केवल रीड किया जा सकता है। 

    इसके डाटा को मिटाया अथवा बदला नहीं जा सकता है। 

    डी.वी.डी. रोम के डाटा को रीड करने के लिए डी.वी.डी. ड्राइव की आवश्यकता होती है।

    2.5.2 डी.वी.डी.-रिकॉर्डेबल: | DVD Recordable:- 

    इसे डब्लयू.ओ.आर.एम. अथवा राईट वन्स रीड मेनी डिस्क भी कहते है। यह डी.वी.डी. ब्लेंक मिलती है। 

    इसमें एक बार डाटा को राईट किया जा सकता है, एक बार डाटा को राईट करने के बाद उस डाटा को मिटाया नहीं जा सकता है और न ही उसे बदला जा सकता है, केवल रीड किया जा सकता है। 

    डी.वी.डी. रोम के डाटा को रीड करने के लिए डी.वी.डी. ड्राइव की आवश्यकता होती है 

    तथा इस पर डाटा को राईट करने के लिए डी.वी.डी. राईटर की आवश्यकता होती है,

    इसमें लेजर बीम की मदद से सीडी की सतह पर बहुत छोटे गड्ढे बनाकर डाटा को सेव किया जाता है। यह एक रीड ऑनली मेमोरी है।

    2.5.3 डी.वी.डी.-आर.डब्लयू. | DVD RW:- 

    इसे डिजीटल वीडियों डिस्क रीड राईट भी कहते है।

    इस डी.वी.डी. के डाटा को बार-बार रीड तथा राईट किया जा सकता है। 

    इस प्रकार की डी.वी.डी. को रीड तथा राईट करने के लिए डी.वी.डी.-आर.डब्ल्यू. ड्राइव की आवश्कता होती है।

    2.6 बी.डी. | BD or Blue Ray Disk in hindi:-

    BLUE RAY DISK

    इसे ब्लू रे डिस्क कहते है। यह डी.वी.डी. की तरह ही है, इसकी डाटा संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है, 

    इसकी प्रत्येक सतह में लगभग 25 जी.बी. डाटा को स्टोर किया जा सकता है। 

    इसमें डाटा को रीड तथा राईट करने के लिए ब्लू रे अथवा ब्लू लेजर बीम का उपयोग होता है। इसमें 3-डी मूवी भी स्टोर की जा सकती है। 

    इसकी डाटा संचरण की गति अधिक होती है।

    2.7 पेन-ड्राइव अथवा यू.एस.बी. फ्लेश ड्राइव अथवा थम्ब ड्राइव अथवा यू.एस.बी. स्टिक | Pen Drive in hindi | USB Flesh Drive in hindi | Thumb Drive | USB kya hai:-

    PENDRIVE

    यह एक काम्पेक्ट सेकेण्डरी स्टोरेज डिवाईस है।

    USB ka full form kya hai | usb full form in hindi:- यूनिवर्सल सीरियल बस ( Universal Serial Bus)

    इसमें डाटा को राईट किया जा सकता है, डाटा को रीड किया जा सकता है, डाटा को मोडिफाई किया जा सकता है। 

    इसमें डाटा के संग्रहण के लिए एक इंटीग्रेटेड सर्किट मेमोरी चिप लगी होती है। 

    इसका आकार किसी पेन अथवा हमारे अंगूठे के आकार का हो सकता है, इसलिए इसे पेन ड्राइव अथवा थम्प ड्राइव भी कहते है। 

    इनकी डाटा संग्रहण की क्षमता 2 जी.बी. से लेकर 128 जी.बी. तथा इससे भी अधिक हो सकती है।

    इसे कम्प्यूटर से कनेक्ट करने के लिए यू.एस.बी. पोर्ट का उपयोग होता है। 

    इसे कम्प्यूटर से कनेक्ट करते ही यह एक्टिव हो जाती है, किसी अन्य साफ्टवेयर अथवा हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती है। 

    इसमें किसी भी प्रकार का डाटा संग्रहित किया जा सकता है। 

    इसे किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए बूटेबल डिवाईस भी बनाया जा सकता है। 

    यह इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग नहीं करती है। वर्तमान में अधिकांश पेन ड्राइव वाटर प्रूफ आती है साथ ही इन पर धूल आदि का भी असर नहीं होता है।

    2.8 एस.डी. कार्ड | SD Card or Secured Digital Card | Memory Chip in hindi | sd card kya hota hai:-

    SD CARD

    इसे मेमोरी चिप अथवा सिक्योर डिजीटल कार्ड भी कहते है। 

    sd card full form in hindi :- Secured Digital Card

    इसका उपयोग स्मार्ट मोबाईल डिवाईस तथा डिजीटल कैमरा में होता है। 

    साथ ही इसे कार्ड रीडर की मदद से कम्प्यूटर में भी उपयोग किया जा सकता है। 

    वर्तमान में कई प्रकार की एस.डी. कार्ड जैसे स्टेंडर्ड एस.डी. कार्ड, मिनी एस.डी. कार्ड तथा माइक्रो एस.डी. कार्ड उपलब्ध है।

    2.9 एस.एस.डी.| SSD kya hota hai | Solid State Drive Computer Memory in hindi | ssd in hindi:-

    SSD

    इसे सॉलिड स्टेट ड्राइव अथवा सॉलिड स्टेट डिस्क भी कहते है। इसमें डाटा को फ्लेश मेमोरी चिप (सेमीकण्डक्टर सेल) पर स्टोर किया जाता है, 

    जिससे इसकी डाटा संचरण की गति एच.डी.डी. अर्थात हार्ड डिस्क ड्राइव से अधिक होती है।

    ssd full form in hindi :- Solid State Drive

     एस.एस.डी. में हार्ड डिस्क ड्राइव की तरह कोई मूविंग पार्ट नहीं होता है। 

    इसका आकार एवं वजन कम होता है। 

    इसके द्वारा इलेक्ट्रिीसिटी का कम उपयोग किया जाता है। इसकी डाटा को रीड-राईट करने की क्षमता अधिक होती है। 

    इसकी कीमत बहुत अधिक होती है, इसकी स्टोरेज क्षमता कम होती है। 

    इसमें डाटा मिट जाने पर उसकी रिकवरी संभव नहीं है।

    मेमोरी को मापने की ईकाई | Memory Unit in hindi:-

    किसी भी प्रकार की मेमोरी की अलग-अलग क्षमताएं होती है, 

    किसी भी मेमोरी की क्षमता को मापने के लिए हम बाईट इकाई का उपयोग करते है। 

    मेमोरी की सबसे छोटी इकाई बिट होती है लेकिन हम किसी मेमोरी की क्षमता को बाईट में ही मापते है। 

    जैसा कि हम जानते है कि कम्प्यूटर केवल 0 तथा 1 बाईनरी नंबरो को ही समझता है, 

    जिसमें हम प्रत्येक को एक बिट कहते है। किसी भी मेमोरी में एक अक्षर को स्टोर करने के लिए जितनी जगह की आवश्यकता होती है, 

    उसे बाईट कहते है तथा एक अक्षर आठ बिट से मिलकर बना होता है। 

    इस प्रकार हम देखते है कि एक बाईट आठ बिट से मिलकर बना होता है। 

    इसी के आधार पर हम आगे की इकाईयों को समझते हैः-

    1बाईट = 8 बिट

    1किलो बाईट या 1 के.बी. = 1024 बाईट 

    1मेगा बाईट या 1 एम.बी. = 1024 किलो बाईट 

    1गीगा बाईट या 1 जी.बी. = 1024 मेगा बाईट 

    1टेरा बाईट या 1 टी.बी. = 1024 गीगा बाईट  

    1पेटा बाईट या 1 पी.बी. = 1024 टेरा बाईट 

    1एक्जा बाईट या 1 ई.बी. = 1024 पेटा बाईट 

    1जेट्टा बाईट या 1 जेड.बी. = 1024 एक्जा बाईट 

    1योट्टा बाईट या 1 व्हाय.बी. = 1024 जेट्टा बाईट 

    1ब्रोन्टो बाईट = 1024 योट्टा बाईट 

    1 जियोप बाईट = 1024 ब्रोन्टो बाईट 

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