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Operating System in Hindi

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    ऑपरेटिंग सिस्टम क्‍या है | What is Operating System in Hindi | Operating System Kya Hai:-

    कम्प्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System in Hindi) कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर को मैनेज करने का कार्य करता है,

    इसके अलावा यह INPUTOUTPUT डिवाईस का नियंत्रण, निर्देशों की PROCESSING, MEMORY एलोकेशन एवं मेमोरी मैनेजमेंट, फाईल मैनेजिंग आदि कार्य करता है।

    इस प्रकार हम कह सकते है कि कम्प्यूटर के चालू होने, उसे कार्य करने योग्य बनाए रखना तथा उसके द्वारा विभिन्न कार्यो के होने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम ही होता है। 

    ऑपरेटिंग सिस्टम, हार्डवेयर, एप्लिकेशन सिस्टम तथा यूजर के मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है, तथा यूजर को कम्प्यूटर का उपयोग करने हेतु एक आसान इन्टरफेस उपलब्ध कराता है। 

    कम्प्यूटर केवल मशीन भाषा को समझता है, अर्थात ”0 तथा 1” ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर तथा एप्लिकेशन सिस्टम से डाटा तथा निर्देश प्राप्त करता है, 

    जो HIGH LEVEL LANGUAGE में हो सकते है, इसे MACHINE LANGUAGE में बदलता है, तथा प्रोसेसिंग के बाद आउटपुट को पुनः मशीन लैंग्वेज से हमारी भाषा में बदलकर प्रदर्शित करता है।

    operating-system-in-hindi

    os full form in computer:-

    OPERATING SYSTEM.

    What is OS definition in hindi :-

    यह निर्देशों तथा प्रोग्रामों का समूह होता है, जो कम्प्यूटर के सभी कॉम्पोनेंट को कार्य करने हेतु निर्देश देता है।

    ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य करने की प्रक्रिया | Operating System basic process:-

    ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर के चालू होने से लेकर उसे कार्य करने योग्य बनाए रखने तक सभी कार्य करता है। इसे हम निम्न प्रकार समझते हैः-

    सबसे पहले जैसे ही हम कम्प्यूटर को स्टार्ट करते है, तो ऑपरेटिंग सिस्टम, BIOS ROM CHIP को सर्च करता है, 

    बायोस चिप में ऑपरेटिंग सिस्टम हेतु निर्देश, PORT ड्राइव, कम्प्यूटर के चालू होने हेतु विभिन्न निर्देश आदि होते है। 

    कम्प्यूटर के ऑन होते ही बायोस चिप के माध्यम से कम्प्यूटर की बूट सिक्वेंस अथवा स्टार्ट अप प्रोसेस प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है, 

    जिसमें बायोस चिप से इन्स्ट्रक्शन तथा प्रोग्रामिंग कोड लोड होते है, बूटिंग की प्रक्रिया में कम्प्यूटर के आंतरिक तथा बाह्य उपकरणों की सेल्फ टेस्टिंग की जाती है, 

    इस प्रक्रिया को पॉवर ऑन सेल्फ टेस्ट (Power on self test) कहते है।

    यदि इस प्रक्रिया के दौरान कोई त्रूटि होती है, तो कम्प्यूटर इरर कोड (Error Code) जनरेट करता है। पॉवर ऑन सेल्फ टेस्ट के सफलतापूर्वक खत्म होने पर बूटिंग की प्रक्रिया प्रारंभ होती है, 

    तथा ऑपरेटिंग सिस्टर स्टार्ट होता है। इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम SECONDARY MEMORY से MAIN MEMORY अर्थात RAM में लोड होता है, 

    साथ ही इसमें कम्प्यूटर के सभी उपकरण सही से कार्य कर रहे है तथा सभी डिवाईस ठीक से कनेक्ट है, यह भी चेक किया जाता है। 

    बूटिंग प्रक्रिया पूरी होने पर कम्प्यूटर ऑन हो जाता है, जिस पर हम कार्य कर सकते है।

    ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार | Type of Operating System in hindi:-

    वर्तमान में अलग-अलग प्रकार के हार्डवेयर के साथ अलग-अलग प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम को उपयोग होता है। यह निम्न प्रकार के होते हैः-

    1. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम | Single user Operating System in hindi:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम को एक समय पर एक ही यूजर उपयोग कर सकता है। 

    इसलिए इसे सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कहते है, उदाहरण MS DOS, WINDOWS 9-X आदि।

    2. मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम | Multi User Operating System:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई यूजर कार्य कर सकते है। 

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग नेटवर्क से जुडे कम्प्यूटरों में किया जाता है, 

    जिससे एक ही एप्लिकेशन तथा डाटा को एक समय पर एक से अधिक यूजर उपयोग कर पाए। उदाहरण UNIX, LINUX, WINDOWS 2000 आदि।

    3. मल्टी टॉस्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम | Multi Tasking Operating System:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समय पर एक से अधिक प्रोसेस रन हो सकती है, 

    जिससे यूजर एक एप्लिकेशन से दूसरे एप्लिकेशन पर आसानी से जा सकता है। 

    उदाहरण UNIX, LINUX, WINDOWS 95 आदि।

    4. रियल टाईम ऑपरेटिंग सिस्टम | Real Time Operating System in hindi:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में किसी प्रोसेस के एक्जिक्यूशन का टाईम निश्चित रहता है, अर्थात यह क्विक रिस्पोंस देता है, 

    जिससे कम्प्यूटर की कार्य करने की गति अधिक होती है। 

    इस ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य किसी टॉस्क अथवा प्रोसेस को एक निश्चित समय में रिस्पांस करना है। 

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का अधिकांशतः उपयोग रेलवे रिजर्वेशन, फ्लाईट रिजर्वेशन, वैज्ञानिक अनुसंधान आदि में किया जाता है। 

    उदाहरण LINUX तथा HPRT आदि। यह दो प्रकार के होते हैः-

    4.1 हार्ड रियल टाईम ऑपरेटिंग सिस्टम | Hard Real Time Operating System:-

    इस प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम किसी प्रोसेस के एक्सिक्यूशन होने तथा रिस्पांस करने हेतु एक निश्चित अधिकतम समय प्रदान करता है 

    तथा उतने समय में कार्य करने की गारंटी देता है।

    4.2 साफ्ट रियल टाईम ऑपरेटिंग सिस्टम | Soft Real Time Operating System:- 

    इस प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम किसी प्रोसेस के एक्सिक्यूशन होने तथा रिस्पांस करने हेतु कोई निश्चित अधिकतम समय प्रदान नहीं करता है 

    तथा इसमें लगने वाला अधिकतम समय कम-ज्यादा हो सकता है।

    5. इम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम | Embeded Operating System:-

    इस प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम डिवाईस की मेमोरी में ही सेव रहता है अर्थात डिवाईस से ही जुडा होता है 

    तथा बहुत की कम रिसोर्सेस के साथ कार्य करता है, 

    जैसे ट्राफिक कंट्रोल सिस्टम, माइक्रोवेव, वाशिंग मशीन आदि में इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग होता है।       

    6. बेच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम | Batch Processing Operating System:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक से अधिक प्रोसेस एक साथ एक्जिक्यूट होती है, जो कि एक ग्रुप के रूप में कार्य करती है। 

    ऑपरेटिंग सिस्टम सभी प्रोसेस हेतु आवश्यक रिसोर्सेस उपलब्ध कराने तथा प्राथमिकता के आधार पर उनके एक्जिक्यूशन को मैनेज करता है। 

    यह डायरेक्ट कम्प्यूटर से संपर्क नहीं करता है। उदाहरण लाईनक्स।

    7. डिस्ट्रीब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम | Distributed Operating System:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम मल्टीपल सी.पी.यू. अर्थात सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का उपयोग करके एक से अधिक रियल टाईम एप्लिकेशन को चलाने का कार्य करता है। 

    इसमें डाटा तथा प्रोसेस एक से अधिक लोकेशन पर सेव रहती है। 

    इस प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम एक से अधिक स्वतंत्र कम्प्यूटरों को इस प्रकार मैनेज करता है कि वह मिलकर एक कम्प्यूटर के रूप में कार्य कर सके। 

    यह सभी कम्प्यूटर आपस में कम्प्यूनिकेशन लाईन जैसे टेलीफोन केबल, हाई स्पीड बस आदि के माध्यम से एक दूसरे से कनेक्ट रहते है।

    8. मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम | Multi Programming Operating System in computer:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक ही मेमोरी में एक से अधिक प्रोग्राम सेव रहते है, 

    जब कोई एक प्रोग्राम किसी प्रोसेस को पूरा नहीं कर पाता है, तो उस प्रोसेस को दूसरे प्रोग्राम के द्वारा एक्जिक्यूट किया जाता है।

    9. टाईम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम | Time Sharing Operating System:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में हर प्रोसेस को कुछ समय प्रदान किया जाता है, जिससे एक से अधिक प्रोसेस एक साथ रन हो सके। 

    उदाहरण मेक ओ.एस.। 

    यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक ही समय पर एक से अधिक प्रोसेस को विभिन्न रिसोर्सेस को शेयर करने हेतु सुविधा उपलब्ध कराता है।

    10. सर्वर साइड ऑपरेटिंग सिस्टम | Server Side Operating Sytem:-

    सर्वर साइड में उपयोग होने वाले कम्प्यूटर में उपयोग किया जाने वाले साफ् ऑपरेटिंग सिस्टमयर सर्वर साइड ऑपरेटिंग सिस्टम होता है। 

    इसे NETWORD OPERATING SYSTEM अथवा एन.ओ.एस. भी कहते है। 

    यह फाईल्स, टॉस्क तथा प्रोसेस का पूरा सेट होता है। उदाहरण लाईनक्स, यूनिक्स आदि।

    11. डिस्ट्रीब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम | Distributed Operating System in Computer:-

    इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम मल्टीपल सी.पी.यू. अर्थात सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का उपयोग करके एक से अधिक रियल टाईम एप्लिकेशन को चलाने का कार्य करता है। 

    इसमें डाटा तथा प्रोसेस एक से अधिक लोकेशन पर सेव रहती है। 

    इस प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम एक से अधिक स्वतंत्र कम्प्यूटरों को इस प्रकार मैनेज करता है कि वह मिलकर एक कम्प्यूटर के रूप में कार्य कर सके। 

    यह सभी कम्प्यूटर आपस में कम्प्यूनिकेशन लाईन जैसे टेलीफोन केबल, हाई स्पीड बस आदि के माध्यम से एक दूसरे से कनेक्ट रहते है।

    12. मोबाईल ऑपरेटिंग सिस्टम | Mobile Operating System:-

    स्मार्ट फोन, टेबलेट, डिजीटल मोबाईल डिवाईस में भी ऑपरेटिंग का उपयोग होता है, जो मोबाईल के विभिन्न एप्लिकेशन को मैनेज करता है। 

    सामान्यतः उपयोग होने वाले मोबाईल ऑपरेटिंग सिस्टमः-

    1. ANDROID:- यह लाईनक्स पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे गूगल द्वारा बनाया गया है।
    2. ISO:- इसे एप्पल कंपनी के द्वारा बनाया गया है तथा इसका उपयोग भी एप्पल के आई.फोन, आई.पेड, आई पोड आदि में किया जाता है।
    3. ब्लेकबेरीः- इसे ब्लेकबेरी कंपनी द्वारा बनाया गया है तथा यह बहुत सुरक्षित साफ्टवेयर है।
    4. सिम्बियनः- इसे सिम्बियन कंपनी द्वारा बनाया गया है, यह एक ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है।

    ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य | Main Work of Operating System in Hindi | advantages of operating system:-

    किसी कम्प्यूटर को स्टार्ट होने तथा उसे विभिन्न कार्य को करने योग्य बनाए रखने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम करता है। 

    यह कम्प्यूटर से जुडे सभी कॉम्पोनेंट को नियंत्रित करता है। 

    इसके अलावा ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य निम्न हैः-

    1. प्रोसेस मैनेजमेंट | Process Management:-

    कम्प्यूटर में प्रोसेसर द्वारा जो टॉस्क वर्तमान में किया जा रहा होता है, 

    उसे प्रोसेस कहते है। ऑपरेटिंग सिस्टम किसी प्रोसेस के बनने, उसके एक्जिक्यूट होने तथा उसके डिलीट होने आदि को मैंनेज करता है। 

    किसी प्रोसेस के बनने ताकि एक्जिक्यूट होने के लिए रिसोर्सेस जैसे सी.पी.यू. टाईम, फाईल्स, मेन मेमोरी तथा इनपुटआउटपुट डिवाईस की आवश्यकता होती है, 

    इन सभी को मैनेज करने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम का होता है।

    2. मेमोरी मैनेजमेंट | Memory Management:-

    कम्प्यूटर में किसी प्रोसेस के होने पर उसे मेन मेमोरी में एलोकेट करना तथा जो प्रोसेस पूरी हो चुकी है, 

    उसे मेमोरी से हटाना आदि कार्य मेमोरी मैनेजमेंट कहलाते है, 

    जो ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाते है। 

    साथ ही यह मेमोरी के उपयोग को भी नियंत्रित करता है।

    3. फाईल मैनेजमेंट | File Management:-

    फाईल सिस्टम कम्प्यूटर का अहम भाग होता है, 

    जिसे मैनेज करने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम करता है, 

    किसी नई फाईल के लिए मेमोरी एलोकेट करना, उसके एक्सेस को आसान बनाना, 

    फाईल को सुरक्षित रखना तथा उसे शेयर करने आदि कई कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाते है जो फाईल मैनेजमेंट के अंतर्गत आते है।

    4. इनपुट-आउटपुट मैनेजमेंट | Input output Management:-

    कम्प्यूटर के द्वारा उपयोग किए जाने वाले इनपुट डिवाईस जैसे माउस, की-बोर्ड एवं आउटपुट डिवाईस जैसे मॉनिटर, प्रिंटर प्रोजेक्‍टर आदि को मैनेज करने का कार्य भी ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाता है। 

    ऑपरेटिंग सिस्टम मैनेज करता है कि इनपुट डिवाईस से दिए जाने वाले डाटा तथा इन्स्ट्रक्शन सही प्रकार से सी.पी.यू. के पास जाए तथा आने वाले आउटपुट सही प्रकार से आउटपुट डिवाईस पर जाए। 

    इनपुट-आउटपुट मैनेजमेंट के अंतर्गत निम्न कार्य आते हैः-

    4.1 स्पीड|Speed:- 

    अलग-अलग इनपुट तथा आउटपुट डिवाईस की डाटा तथा इन्स्ट्रक्शन को पास करने की गति अलग-अलग होती है, 

    इनकी स्पीड को ऑपरेटिंग सिस्टम मैनेज करता है।

    4.2 यूनिट ऑफ ट्रांसफर|Unit of Transfer:-

    ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा यह मैनेज किया जाता है कि डाटा कम्प्यूटर के विभिन्न कॉम्पोनेंट के बीच यूनिट जैसे बाईट आदि में ट्रांसफर होता है।

    4.3 डाटा रिप्रजेंटेशन| Data Representation:- 

    अलग-अलग इनपुट-आउटपुट डिवाईस द्वारा डाटा को अलग-अलग प्रकार से रिप्रजेंट किश जाता है, 

    इनपुट-आउटपुट तथा सी.पी.यू. के बीच इसे ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा मैनेज किया जाता है।

    4.4 शेयरिंग | Sharing:- 

    कई डिवाईस अलग-अलग प्रोग्राम द्वारा शेयर की जा सकती है, तथा कई डिवाईस शेयर नहीं की जा सकती है, 

    इसे मैनेज करने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम करता है।

    4.5 बफरिंग| Buffering:- 

    कम्प्यूटर में एक डिवाईस से डाटा दूसरी डिवाईस के ट्रांसफर करने हेतु अथवा किसी एप्लिकेशन से किसी डिवाईस में ट्रांसफर करने हेतु डिवाईस तथा एप्लिकेशन को ऑपरेटिंग सिस्टम मैनेज करता है।  

    5. स्टोरेज मैनेजमेंट | Storage Management:-

    किसी कम्प्यूटर में कई सारी फाईल्स तथा डाटा हो सकता है। 

    इन फाईलों तथा डाटा को व्यवस्थित करना तथा उन्हें एक्सेस करना साथ ही उन्हें सुरक्षित रखना आदि कार्य स्टोरेज मैनेजमेंट के अंतर्गत आते है।

    जिसमें किसी डाटा पर विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन जैसे एनालिसिस, रिप्रजेंटेशन आदि कार्य आसानी से हो सके, 

    साथ ही फाईल को कम्प्रेस करें ताकि अधिक से अधिक फाईल को सेव किया जा सके। 

    यह सभी कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाते है।

    6. यूजर इंटरफेस | User Interface:-

    किसी ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य कार्य होता है, 

    कम्प्यूटर यूजर को कम्प्यूटर के उपयोग हेतु आसान इंटरफेस प्रदान करना, ताकि यूजर अपने कार्य आसानी से कर सके। 

    ऑपरेटिंग सिस्टम में दो प्रकार के इंटरफेस उपलब्ध हैः-

    6.1 ग्राफिकल यूजर इंटरफेस | Graphical User Interface:-

    इस प्रकार के इंटरफेस में विभिन्न प्रकार की एप्लिकेशन को सिंगल अथवा आईकन के रूप में दर्शाया जाता है, 

    जिन्हें पाइंटिग डिवाईस जैसे माउस की सहायता से उपयोग किया जा सकता है। 

    इसमें आईकन को इनपुट डिवाईस से क्लिक करके कम्प्यूटर को डाटा तथा निर्देश उपलब्ध कराते है। 

    वर्तमान में अधिकांश कम्प्यूटरों में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का उपयोग होता है।

    हम देखते है कि वर्तमान में अधिकांश जगहों पर विन्डोस अथवा उबंटू (लाईनक्स का वर्जन) आदि ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग होता है, 

    जो कि ग्राफिकल यूजर इंटरफेस प्रदान करते है।

    6.2 केरेक्टर यूजर इंटरफेस | Character User Interface | Character meaning in hindi:-

    इसे कमांड लाईन इंटरफेस भी कहते है, 

    इस प्रकार के इंटरफेस में कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए की-बोर्ड से कमांड देनी होती है। 

    इसमें कोई भी टॉस्क करने के लिए कमांड देना होती है। उदाहरण एम.एस. डोस आदि।

    सामान्यतः उपयोग होने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम | Mostly Used Operating System in hindi:-

    एम.एस. डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम | MS DOS Operating System in Hindi:-

    एम.एस. डॉस अथवा माईक्रासाफ्ट डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम को माईक्रासाफ्ट कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। 

    यह एक सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है। 

    इसे डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम भी कहते है, क्योंकि यह कम्प्यूटर की मेन मेमोरी की सिंगल डिस्क पर लोड हो सकता है। 

    सबसे पहले इसे माइक्रो कम्प्यूटर हेतु बनाया गया था। 

    एम.एस. डॉस, सी.यू.आई. इंटरफेस को सपोर्ट करता है, 

    अर्थात इसमें कोई कार्य करने के लिए हमें की-बोर्ड के माध्यम से कमाण्ड टाईप करने की आवश्यकता होती है। 

    एम.एस. डॉस में कमाण्ड टाईप करने के लिए कमाण्ड प्राम्प्ट का उपयोग होता है, 

    जो कि सामान्यतः एक ब्लेक कलर की स्क्रीन होती है। 

    एम.एस. डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम कई सारे प्रोग्रामों का समूह है, जिसे हम निम्न प्रकार से समझेंगे।

    M.S. DOS की संरचना | Structure of MS DOS Operating System:-

    एम.एस. डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य चार प्रोग्राम होते है, 

    जो कम्प्यूटर तथा उसके विभिन्न भागों को नियंत्रित करते है।

    1. बूट रिकॉर्डः- यह एम.एस. डॉस का मुख्य प्रोग्राम है। जब कम्प्यूटर का स्वीच ऑन किया जाता है, तो यह प्रोग्राम एम.एस. डॉस को कम्प्यूटर की मेन मेमोरी अर्थात रेम में लोड करता है।
    2. बायोस सिस्टमः-यह प्रोग्राम कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर के मध्य तालमेल स्थापित करता है।
    3. एम.एस. डॉस-एस.व्हाय.एस. प्रोग्रामः- यह प्रोग्रामों को समूह होता है, जो एप्लिकेशन साफ्टवेयर को मैनेज करता है।
    4. एम.एस. डॉस-कमांड डॉट कॉम प्रोग्रामः- एम.एस. डॉस में प्रत्येक कार्य की-बोर्ड से कमाण्ड टाईप करके ही किया जाता है। इस प्रोग्राम द्वारा कम्प्यूटर में किए जा सकने वाले विभिन्न कार्य जैसे कान्फीगरेशन, फाईल मैनेजमेंट आदि कार्यो हेतु कमाण्ड उपलब्ध कराई जाती है।

    M.S. DOS कमाण्ड | MS DOS Command:-

    एम.एस. डॉस में प्रत्येक टॉस्क के लिए कमाण्ड टाईप करनी होती है। 

    यह कमाण्ड डिस्क में एम.एम. डॉस डायरेक्ट्री में स्टोर रहती है। 

    एम.एस. डॉस में दो प्रकार की कमाण्ड होती हैः-

    आंतरिक कमाण्ड | Internal Command of MS DOS:-

    यह एम.एस. डॉस की बिल्ट-इन कमाण्ड होती है, 

    जो कि कमाण्ड इंटरप्रिटर फाईल में सेव रहती है, 

    जिसे कमाण्डल-डॉट-कॉम प्रोग्राम भी कहते है।

    उदाहरणः- डेट, टाईम, मूव, एको, पॉस आदि।

    बाह्य कमाण्ड | External Command of MS DOS:-

    एम.एस. डॉस में कई कार्यो हेतु बाह्य कमाण्ड की आवश्यकता होती है, 

    जो कि एक अलग प्रोग्राम फाईल में सेव होती है, 

    यह फाईल एम.एस. डॉस की डायरेक्ट्री में सेव रहती है।

    उदाहरणः- कमाण्ड-डॉट-कॉम, एडिट-डॉट-कॉम आदि।

    एम.एस. डॉस के फीचर्स | Feature of MS DOS:-

    1. ऑपरेटिंग सिस्टम सी.यू.आई. इंटरफेस अर्थात केरेक्टर यूजर इंटरफेस को सपोर्ट करता है, इसमें सभी कार्य की-बोर्ड से कमाण्ड टाईप करके किए जाते है।
    2. यह फाईल, फोल्डर को मैनेज करता है, प्रोग्राम के एक्जिक्यूशन को हेंडल करता है।
    3. यह हार्ड वेयर को नियंत्रित तथा मैनेज करता है।
    4. इसमें फाईलों पर विभिन्न प्रकार के कार्य करने हेतु फाईल सिस्टम उपलब्ध होता है।
    5. इसमें 16 बिट फाईल एलोकेशन टेबल का उपयोग होता है, जिसमें सभी फाईलों की लोकेशन को टेबल के फार्मेट में स्टोर रखा जाता है।
    6. यह सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है, यह मल्टी यूजर तथा मल्टी टॉस्किंग फीचर को सपोर्ट नहीं करता है।

    7. यह बहुत लाइटवेट ऑपरेटिंग सिस्टम है।

    विन्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम | Windows Operating System in hindi:-

    इसे माईक्रोसाफ्ट कंपनी द्वारा विकसित किया गया है, 

    इसका ऑफिशियल नाम ‘‘Microsoft Windows‘‘ है। 

    यह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस प्रदान करता है। 

    इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक आयताकार विंडो होती है, 

    जिसमें हम कम्प्यूटर पर सभी कार्य करते है। 

    माईक्रोसाफ्ट विन्डोज में प्रत्येक स्क्रीन को एक विंडो ही कहते है। 

    वर्तमान में हम जो माईक्रोसाफ्ट विन्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोग करते है, 

    वह बहुत एडवांस फीचर्स के साथ उपलब्ध है। 

    माईक्रोसाफ्ट विन्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के फीचर्स में उपलब्ध है, होम तथा प्रोफेसनल। 

    जहां होम वर्जन में सामान्य उपयोग में आने वाले सभी फीचर्स उपलब्ध होते है तथा प्रोफेसनल वर्जन में कुछ अधिक फीचर्स उपलब्ध होते है।

    माईक्रोसाफ्ट विन्डोज के बारे में अधिक जाने।

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