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    Computer Mouse | कम्‍प्‍यूटर माउसः-

    Computer Mouse एक इनपुट डिवाईस है, जो कम्प्यूटर पर कार्य करने हेतु बहुत ही आवश्यक है, जिससे हम कार्य को सुविधाजनक तरीके से कर सकते है।

    Table of Contents

    इसे पाइंटिंग डिवाईस भी कहते है। यह कर्सर अथवा पाइंटर को कम्प्यूटर स्क्रीन पर मूव करने का कार्य करता है। 

    सामान्यतः उपयोग होने वाले माउस का आकार एक छोटे बॉक्स की तरह होता है, 

    जिसे हम एक हाथ की अंगुलियों और हथेली से पकड़कर आसानी से चला सकते है। 

    इसके अलावा लेपटॉप आदि में माउस के स्थान पर टचपेड स्क्रीन आती है, 

    जिस पर अंगुलियों के प्रयोग से हम कर्सर को मूव करते है, यह माउस की तरह की कार्य करता है।

    माउस में उपयोग होने वाली टैक्नोलॉजी तथा उसकी बनावट के आधार पर Computer Mouse के प्रकारः-

    माउस में कर्सर को मूव करने की अलग-अलग टेक्नोलॉजी के उपयोग के आधार पर तीन प्रकार के माउस आते हैः-

    i) Trackball Mouse:-

    पूर्व में माउस में कर्सर की मूवमेंट के लिए रोलर बॉल रहती है, जो आधी माउस के अंदर तथा आधी माउस के बाहर होती है,

    जिसे अंगुलियों या हथेली से मूव करके, कर्सर को मूव किया जाता है।

    कर्सर को मूव करने के लिए इस माउस को मूव करने की आवश्यकता नहीं होती है,

    केवल रोलर बॉल को घुमाया जाता है। इस प्रकार के माउस को ट्रेकबॉल माउस कहते है।

    ii) Mechanical Mouse:-

    इस माउस में कर्सर को मूव करने के लिए माउस की निचली सतह के बीच में एक रोलर बॉल होती है,

    माउस को किसी समतल सतह पर मूव कराकर उक्त रोलर बॉल को घुमाया जाता है,

    माउस के अंदर लगा सेंसर बॉल की इस मूवमेंट को डिटेक्ट करता है,

    तथा उसी अनुसार कम्प्यूटर को सिग्नल भेजता है, जिससे स्क्रीन पर कर्सर मूव होता है।

    मैकेनिकल माउस में लगी हुई रोलर बॉल माउस के अंदर दो अन्य व्हील से जुडी होती है,

    जिनमे से एक बॉल के ऊपर-नीचे जाने के मूवमेंट तथा दूसरा बॉल के दाएं-बांए जाने के मूवमेंट को डिटेक्ट करते है और इसी आधार पर कर्सर स्क्रीन पर मूव होता है।

    इस माउस की एक कमी यह है कि इसमें रोलर बॉल के धूल आदि के कारण खराब होने की संभावना अधिक रहती है,

    इसलिए इसे हमेशा साफ रखने की आवश्यकता होती है।

    iii) Optical Mouse:-

    वर्तमान में अधिकांशतः ऑपटिकल माउस का ही उपयोग किया जाता है।

    इसका आकार, फंक्शन तथा बनावट मैकेनिकल माउस की तरह ही होती है,

    अंतर केवल इतना है कि इसमें कर्सर के मूवमेंट के लिए बॉल के स्थान पर ऑपटिकल सेंसर, एल.ई.डी. (लाईट एमिटिंग डायोड) तथा डी.एस.पी. (डिजीटल सिग्नल प्रोसेसिंग) का उपयोग किया जाता है, जो कि बॉल के तुलना में ज्यादा सटीक सिग्नल कम्प्यूटर को भेजता है।

    इसमें ऑपटिकल टेक्नोलॉजी के द्वारा एक लाईट बीम(सामान्यतः माउस में यह लाल कलर की होती है) के विजिबल तथा इनविजिबल होने के आधार पर माउस के मूवमेंट को नियंत्रित किया जाता है।

    साथ ही इस माउस का मेंटेनेंस भी बहुत कम है। 

    इस प्रकार के माउस को चलाने के लिए समतल सतह की आवश्यकता होती है, जो न तो ज्यादा चिकनी हो और न ही ज्यादा खुरदरी हो।

    ज्यादा चिकनी अथवा ज्यादा खुरदरी सतह पर उपयोग करने पर माउस के मूवमेंट पर ऑप्टिकल सिग्नल के रिकाग्निशन में परेशानी आती है,

    जिससे माउस कर्सर ठीक से मूव नहीं कर पाता है।

    इसलिए इस माउस के लिए माउस पेड का उपयोग किया जाता है, जो रबर, रेग्जीन आदि का बना होता है।

    कम्प्यूटर से कनेक्शन के आधार पर Computer Mouse के प्रकारः-

    वायर्ड माउस | Wired Mouse:-

    सामान्यतः कम्प्यूटर के साथ वायर से जुडा माउस मिलता है।

    जिसे चलाने के लिए माउस में एक वायर होता है, 

    जिसका एक सिरा माउस से कनेक्ट होता है तथा दूसरा सिरा कम्प्यूटर के सी.पी.यू. से कनेक्ट होता है।

    इसे उपयोग करने का कारण इसकी कीमत कम होना तथा इसे चलाने के लिए अलग से बिजली की आवश्यकता न होना है।

    वायरलेस माउस | Wireless Mouse:-

    वर्तमान में वायर पर माउस की निर्भरता को खत्म करने के लिए वायरलेस माउस का उपयोग किया जाने लगा है।

    यह भी वायर्ड माउस की तरह है, इसे कम्प्यूटर में कनेक्ट करने के लिए वायर के स्थान पर ब्लूटूथ, वाई-फाई अथवा एक यू.एस.बी. डिवाईस जो कि हमारे नाखून के आकार की हो सकती है, का उपयोग होता है।

    इसे चलाने के लिए बेटरी अर्थात सेल की आवश्यकता होती है। 

    टच पेड | Touch Pad:-

    कम्प्यूटर के साथ-साथ आज हम लेपटॉप का उपयोग भी करते है।

    लेपटॉप में इनबिल्ट माउस की सुविधा उपलब्ध होती है, जो टच स्क्रीन की सुविधा के द्वारा ऑपरेट होता है।

    इसमें माउस के कर्सर को स्क्रीन पर चलाने के लिए टच पेड दिया होता है,

    जिस पर अंगुलीयों के माध्यम से अलग-अलग कार्य किए जाते है।

    यह टच पेड क्लिकेबल भी हो सकता है।

    माउस पेड | Mouse Pad:-

    सामान्यतः उपयोग में आने वाले माउस को किसी समतल सतह पर रखकर ही अच्छी तरह चलाया जा सकता है,

    इसके लिए रबर आदि का बना माउस पेड आता है,

    जिस पर रखकर उपयोग करने से माउस अच्छे से कार्य करता है। 

    सामान्यतः उपयोग में आने वाले माउस की संरचना | Structure of Mostly Used Computer Mouse:-

    सामान्यतः उपयोग होने वाले माउस में भौतिक रूप से तीन बटन होती है, 

    लेफ्ट बटन, राईट बटन और मिडिल अर्थात स्क्रॉल बटन।

    इसी प्रकार वर्चुअल रूप से कम्प्यूटर स्क्रीन पर माउस एक ऐरो के आकार के रूप में दिखाई देता है, इसे माउस का कर्सर कहते है।

    माउस कर्सर का आकार अलग-अलग विकल्पों तथा एप्लिकेशन के लिए अलग होता है,

    अर्थात टाईप करते समय अलग आकार, किसी विकल्प का चयन करते समय अलग आकार आदि।

    राइट बटन | Right Button of Computer Mouse:-

    सामान्यतः राइट बटन का उपयोग नए विकल्प प्राप्त करने के लिए किया जाता है 

    अर्थात कम्प्यूटर स्क्रीन पर जिस आईकन पर माउस का कर्सर ले जाकर माउस का राईट बटन क्लिक करते है,

    उस आईकन से संबंधित आवश्यक उपलब्ध विकल्पों की एक लिस्ट दिखाई देने लगती है।

    इस लिस्ट से किसी विकल्प को चुनने के लिए उस विकल्प पर माउस कर्सर ले जाकर लेफ्ट बटन प्रेस करना होती है।

    लेफ्ट बटन | Left Button of Computer Mouse:-

    सामान्यतः कम्प्यूटर में कार्य करने के लिए अथवा किसी जगह पर क्लिक करने के लिए अथवा कम्प्यूटर की स्क्रीन पर किसी आईकन को सेलेक्ट करने के लिए लेफ्ट बटन का उपयोग किया जाता है।

    स्क्रॉल बटन | Scroll Button of Computer Mouse:-

    जैसा कि नाम से ही दर्शित है, यह बटन कम्प्यूटर स्क्रीन को स्क्रॉल अथवा ऊपर-नीचे मूव करने का कार्य करती है।

    इस बटन को क्लिक भी किया जा सकता है।

    माउस कर्सर का आकार | Size of Mouse Cursor:-

    सामान्यतः कम्प्यूटर की पहली स्क्रीन पर माउस का आकार एक ऐरो की तरह दिखाई देता है।

    माउस का आकार बदलता रहता है।

    माउस का आकार इस बात पर निर्भर करता है कि माउस का कर्सर किस फाईल, विकल्प, आइकन अथवा आब्जेक्ट पर है।

    जैसे यदि आप वर्ड फाईल में कुछ टाईप कर रहे है, तब टाईप करने वाले स्थान पर कर्सर का आकार ‘‘आई‘‘ के आकार का हो जाता है,

    जब हम कर्सर को किसी विकल्प पर ले जाते है, तो कर्सर का आकार ‘‘ऐरो‘‘ के आकार का हो जाता है,

    जब कर्सर को किसी लिंक के ऊपर ले जाते है, तो कर्सर का आकार ‘‘हाथ‘‘ के जैसा हो जाता है।

    इसी प्रकार कर्सर के कई अन्य आकार भी होते है।

    माउस का कम्प्यूटर से कनेक्शन | Connection of Mouse to Computer:-

    कम्प्यूटर का माउस कनेक्शन तीन प्रकार से होता हैः-

    पी.एस./2 पोर्ट | PS/2 PORT:-

    पहले माउस को कम्प्यूटर में कनेक्ट करने के लिए अधिकांशतः पी.एस./2 पोर्ट उपलब्ध होता था,

    जिसका रंग ग्रीन कलर का होता था। यह एक गोलाकार पोर्ट होता था।

    माउस को पी.एस./2 पोर्ट में कनेक्ट करने हेतु माउस के वायर का प्लग भी पी.एस./2 पोर्ट के प्रकार का ही होता था।

    पुराने कम्प्यूटर में अभी भी इस प्रकार के पोर्ट का उपयोग हो रहा है।

    यू.एस.बी. पोर्ट | USB PORT:-

    वर्तमान में अधिकांश माउस यू.एस.बी. केबल के साथ आने लगे है, जो कम्प्यूटर में उपलब्ध यू.एस.बी. पोर्ट में कनेक्ट होते है।

    इनकी डाटा ट्रांसफर की गति पी.एस./2 पोर्ट से अच्छी होती है।

    वायर लेस कनेक्शन | Wireless Connection:-

    वर्तमान में वायर लेस माउस भी उपलब्ध है।

    जिनमें माउस की वायर अर्थात केबल पर निर्भरता को खत्म कर दिया गया है।

    इसमें भी अलग-अलग प्रकार के वायरलेस माउस आते है, जो माउस, ब्लूटूथ अथवा वाई-फाई टैक्नोलॉजी को सपोर्ट करते है,

    वे सीधे ही कम्प्यूटर से ब्लूटूथ या वाई-फाई के माध्यम से कनेक्ट हो जाते है।

    यदि माउस यू.एस.बी. टैक्नोलॉजी को सपोर्ट करता है तो इसको कम्प्यूटर से कनेक्ट करने के लिए यू.एस.बी. कनेक्टर अथवा स्वीच की आवश्यकता होती है,

    जिसे कम्प्यूटर में कनेक्ट करना होता है। यह हमारे नाखून के आकार का हो सकता है।

    इसे कम्प्यूटर में कनेक्ट करते ही माउस स्वतः ही चालू हो जाता है।

    नोटः- हमें Wireless Keyboard and Mouse जो यू.एस.बी. कनेक्टर के द्वारा कनेक्ट होते है, को कम्प्यूटर से कनेक्ट करने हेतु अलग-अलग यू.एस.बी. कनेक्टर या डिवाईस की आवश्यकता नहीं होती है,

    बल्कि एक यू.एस.बी. डिवाईस के माध्यम से ही की-बोर्ड तथा माउस दोनों को कम्प्यूटर में कनेक्ट किया जा सकता है।

    माउस के द्वारा कम्प्यूटर पर किए जाने वाले कार्य | Work of Computer Mouse:-

    माउस को मूव करना | Mouse Move:-

    जब हम माउस को किसी समतल सतह जैसे माउस पेड पर खिसकाकर माउस के कर्सर को कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाते है, उसे माउस मूव कहते है।

    माउस की बटन क्लिक करना | Click Event:-

    माउस के बटन को क्लिक करके हम किसी फाईल या आब्जेक्ट या आइकन को सेलेक्ट कर सकते है,

    नए विकल्पों को ओपन कर सकते है, 

    किसी विकल्प पर क्लिक करके नए विकल्पों हेतु नए डॉयलॉग बॉक्स को ओपन कर सकते है।

    माउस क्लिक क्या है | What is Mouse Click:- 

    माउस की किसी बटन को प्रेस करना तथा उसे रिलीज करने को माउस का क्लिक कहते है।

    Mouse के बटन के क्लिक करने के प्रकार | Types of Mouse Click Event:- 

    माउस के बटन को क्लिक करने के प्रकार भी अलग-अलग होते है।

    सिंगल लेफ्ट बटन क्लिक| Single Left button Click:-

    सामान्यतः जब हमें किसी फाईल को सेलेक्ट करना होता है अथवा किसी विकल्प या आइकन को सेलेक्ट करना होता है,

    तब हम माउस को कर्सर को उस विकल्प अथवा आईकन पर ले जाकर एक बार लेफ्ट बटन क्लिक करते है।

    डबल लेफ्ट बटन क्लिक | Double Left Button Click:-

    जब हमें किसी फाईल या विकल्प को ओपन करना होता है, 

    तब हम एक साथ दो बार लेफ्ट बटन क्लिक करते है।

    ट्रिपल लेफ्ट बटन क्लिक | Triple Left Button Click:-

    कम्प्यूटर पर कुछ स्पेशल कार्यो के लिए माउस के लेफ्ट बटन को एक साथ तीन बार क्लिक करते है।

    जैसे यदि आपको किसी वर्ड फाईल में टाईप किये हुए किसी डाटा के पूरे पेराग्राफ को सेलेक्ट करना है,

    तो आप उस पेराग्राफ पर माउस का लेफ्ट बटन एक साथ तीन बार क्लिक करेंगे तो पूरा पैराग्राफ सेलेक्ट हो जाएगा।

    ड्रेग एण्ड ड्रॉप | Drage and Drop:-

    जब हमें किसी फाईल अथवा किसी आब्जेक्ट या आइकन को स्क्रीन पर एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना होता है,

    तब उस फाईल पर माउस कर्सर ले जाकर माउस का लेफ्ट बटन प्रेस करते हुए माउस को मूव करते हुए माउस कर्सर को वहां ले जाना होता है,

    जहां हम फाईल को मूव करना चाहते है, 

    इसके बाद माउस की बटन को रिलीज अर्थात छोड देते है,

    माउस कर्सर के जिस स्थान पर माउस लेफ्ट बटन को रिलीज किया जाता है, सेलेक्ट की गई फाईल उस स्थान पर मूव हो जाती है।

    यह कार्य हम माउस की लेफ्ट बटन तथा राईट बटन में से किसी भी बटन के द्वारा कर सकते है,

    बस अंतर इतना है कि राईट बटन से यह कार्य करने पर अतिरिक्त विकल्प हेतु कांटेक्स्ट मेन्यू मिलता है,

    जिसमें फाईल को मूव करने, कॉपी करने, शॉर्टकट बनाने तथा कार्य को केंसिल करने के विकल्प मिलते है, जबकि लेफ्ट बटन का उपयोग करने पर फाईल सीधे मूव हो जाती है।

    माउस ड्रेग क्या है | What is Mouse Drag Event:-

    जब हम माउस के लेफ्ट अथवा राइट बटन को प्रेस किए हुए माउस को एक जगह से दूसरी जगह मूव करते है, तो माउस के उस मूव को ड्रेग कहते है।

    सिंगल राईट क्लिक | Single Right click:-

    जब हमें किसी फाईल अथवा आइकन या किसी विकल्प से संबंधित कांटेक्स्ट मेन्यू को ओपन करना होता है,

    तब हम उस फाईल अथवा विकल्प पर माउस का कर्सर ले जाकर माउस का राईट बटन क्लिक करके उस आइकन या विकल्प अथवा फाईल से संबंधित कांटेक्स्ट मेन्यू ओपन कर सकते है।

    कांटेक्स्ट मेन्यू क्‍या है | What is Context Menu:-

    जब हम कम्प्यूटर की पहली स्क्रीन अर्थात विंडो स्क्रीन पर किसी खाली जगह पर माउस से राईट क्लिक करते है,

    तब विभिन्न प्रकार के विकल्पों वाला एक ड्रॉपडाउन मेन्यू ओपन होता है, 

    इसे कांटेक्स्ट मेन्यू कहते है।

    हम किसी भी फाईल या आब्जेक्ट अथवा आइकन पर माउस कर्सर ले जाकर माउस का राईट बटन क्लिक करते है, 

    तो उस फाईल या आब्जेक्ट अथवा आइकन से संबंधित कंटेक्स्ट मेन्यू ओपन हो जाता है।

    कंटेक्स्ट मेन्यू फाईल या आब्जेक्ट अथवा आइकन के आधार पर अलग-अलग हो सकता है,

    जिससे राईट क्लिक करने पर उस फाईल या आब्जेक्ट अथवा आइकन से संबंधित अन्य विकल्प तथा शॉर्टकट का उपयोग कर सकते है।

    माउस की बटन को स्क्रॉल करना (माउस स्क्रॉल क्या है) | What is Mouse Scroll:--

    कई बार फाईल जैसे वर्ड फाईल, एक्सेल फाईल आदि या ऑनलाईन वेब ब्राउजर पर कार्य करते समय हम देखते है कि फाईल के डाटा का साइज ज्यादा होने से स्क्रीन पर पूरा डाटा एक साथ दिखाई नहीं देता है,

    ऐसे में हमें कम्प्यूटर की स्क्रीन को ऊपर-नीचे करने की आवश्यकता होती है,

    इसके लिए हम माउस की मीडिल बटन अर्थात स्क्रॉल बटन का उपयोग करते है,

    जिसे घुमाकर हम कम्प्यूटर स्क्रीन को ऊपर-नीचे कर सकते है। 

    माउस की यह स्क्रॉल बटन आगे-पीछे दोनों दिशाओं में घूम सकती है।

    इसके अलावा माउस का यह मीडिल अथवा स्क्रॉल बटन क्लिकेबल भी होता है, 

    अर्थात हम इसे क्लिक भी कर सकते है।

    जैसे यदि हम किसी वर्ड फाईल में कार्य करते है, तब यदि माउस के मीडिल बटन को घुमाने के स्थान पर क्लिक करते है,

    तो माउस का कर्सर ऊपर-नीचे की ओर दिखने वाले दो ऐरो के आकार में बदल जाता है,

    इससे हम माउस को ऊपर-नीचे मूव करके ही बिना स्क्रॉल बटन को घुमाए भी स्क्रीन को स्क्रॉल कर सकते है।

    इस विकल्प को हटाने के लिए पुनः मीडिल को बटन को क्लिक करना होता है।

    माउस की डिफाल्ट सेटिंग को बदलना | Change the default setting of computer mouse:-

    माउस का उपयोग करते हुए हम देखते है, कि माउस के राइट बटन से अलग कार्य होते है, लेफ्ट बटन से अलग कार्य होते है,

    इसी प्रकार सिंगल क्लिक से अलग कार्य तथा डबल क्लिक से अलग कार्य होते है।

    हम माउस की डिफाल्ट सेटिंग को कम्प्यूटर के कंट्रोल पेनल के माध्यम से अपनी इच्छा अनुसार बदल भी सकते है।

    कम्प्यूटर के कंट्रोल पेनल के माध्यम से हम निम्न सेटिंग को बदल सकते हैः-

    1. माउस के कर्सर का आकार बदल सकते है।
    2. माउस के कर्सर का प्रकार बदल सकते है।
    3. कर्सर का कलर बदल सकते है।
    4. कर्सर के ब्लिंक करने की गति बदल सकते है।
    5. स्क्रॉल बटन की गति बदल सकते है।
    6. लेफ्ट बटन एवं राईट बटन के कार्यो को आपस में बदल सकते है।

    माउस तथा टच स्क्रीन में भिन्नता | Difference between Mouse and Touch Screen:-

    हमने ऊपर पढा कि टच स्क्रीन माउस की तरह कार्य करता है, लेकिन माउस तथा टच स्क्रीन में बहुत सारे अंतर भी है।

    जैसे टच स्क्रीन तभी इनपुट प्राप्त करती है, जब हम अंगुलियों से टच स्क्रीन को टच करते है, जबकि माउस अलग-अलग प्रकार से इनपुट प्राप्त करता है, 

    जैसे माउस बटन क्लिक करने पर, माउस की स्क्रॉल बटन को घुमाने पर तथा माउस को मूव करके।

    इसके अलावा माउस की एक प्रॉपर्टी होती है हूवर। 

    जब हम किसी आईकन, फाईल अथवा ऑब्जेक्ट पर माउस कर्सर को लेकर जाते है, तो इसे हूवर कहते है,

    माउस हूवर होते ही, उस आईकन, फाईल अथवा ऑब्जेक्ट से संबंधित डीटेल दिखाई देने लगती है, परंतु यह सुविधा टच स्क्रीन में नहीं मिलती है,

    क्योंकि टच स्क्रीन में हूवर का कोई विकल्प नहीं होता है, सीधे ही टच अर्थात टेप का विकल्प होता है।

    इसी प्रकार जब हम किसी लिंक पर माउस कर्सर लेकर जाते है, तो वह लिंक दिखाई देने लगती है, लेकिन लिंक तब तक ओपन नहीं होती है, 

    जब तक कि उसे क्लिक न किया जाए।

    वही टच स्क्रीन में लिंक पर टच करने पर लिंक ओपन हो जाती है।

    वर्तमान में ऐसे कई प्रोग्राम अथवा साफ्टवेयर बन रहे है,

    जिनमें पहले टेप को हूवर तथा दूसरे टेप को क्लिक के रूप में इनपुट लिया जाता है।

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