What is Input Device | इनपुट डिवाईस क्या है:-
कप्यूटर को इनपुट देने के लिए हम इनपुट डिवाईस | Input Device का उपयोग करते है।
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Toggleइनपुट डिवाईस के माध्यम से हम इनपुट कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग यूनिट को उपलब्ध कराते है, जो प्रोसेसिंग प्रक्रिया के उपरांत आउटपुट उपलब्ध कराती है।
कम्प्यूटर को इनपुट देने के लिए कई प्रकार की इनपुट डिवाईस उपलब्ध है,
जिनका उपयोग अलग-अलग कार्यो के लिए किया जाता है।
What is Input | इनपुट क्या है:-
हम कम्प्यूटर से किसी कार्य को करने के लिए उसे एक या एक से अधिक इन्स्ट्रक्शन एवं डाटा देते है, इन इन्स्ट्रक्शन तथा डाटा को ही इनपुट कहा जाता है
अर्थात हम कम्प्यूटर को जो डाटा उपलब्ध कराते है, वह इनपुट होता है।
इनपुट डिवाईस से डाटा कम्प्यूटर को देने पर उक्त डाटा बाईनरी डाटा के रूप में कम्प्यूटर की मेन मेमोरी में सेव होता है,
जिसे प्रोसेसिंग यूनिट द्वारा उपयोग कर आउटपुट डिवाईस के माध्यम से आउटपुट प्रदान किया जाता है।
किस इनपुट डिवाईस का उपयोग करना है, यह निम्न बातों पर निर्भर होता है:-
कार्य की प्रक्रिया एवं जटिलता
किसी डिवाईस से कार्य करने में लगने वाला समय
कार्य करने में सुविधाजनक डिवाईस
डिवाईस का आकार
जैसे उदाहरण के लिए हमें यदि किसी वर्ड फाईल में कुछ टाईप करना है, तो हम की-बोर्ड इनपुट डिवाईस का उपयोग करेंगे।
टाईपिंग कार्य के लिए हम वर्चुअल की-बोर्ड के साथ माउस का उपयोग कर सकते है, लेकिन माउस से टाईपिंग करने में ज्यादा समय लगेगा, इस प्रकार टाईपिंग कार्य करने हेतु सबसे बेहतर इनपुट डिवाईस की-बोर्ड है।
इसी प्रकार जब हमें कम्प्यूटर में कोई नई फाईल बनाना होता है, उसे डिलिट करना होता है, उसे सेलेक्ट करना होता है,
कम्प्यूटर की मेमोरी में किसी लोकेशन पर जाना होता है, किसी फाईल को ओपन करना होता है,
किसी फाईल को बंद करना होता है, किसी ओपन की गई फाईल जिसमें एक से अधिक पेज है, को स्क्रॉल करना होता है,
तब हम माउस (जिसे पॉइंटिग इनपुट डिवाईस भी कहते है) का चयन करते है,
इनमें से कई कार्य की-बोर्ड की शॉर्टकट बटन के माध्यम से किये जा सकते है, लेकिन इन कार्यो के लिए सबसे बेहतर इनपुट डिवाई माउस है।
इनपुट डिवाईस के प्रकार | Types of Input Devices | Different Input Devices of Computer:-
यहां हम सामान्यतः उपयोग होने वाले इनपुट डिवाईस के बारे में जानेंगे।
की-बोर्ड | Keyboard Input Device:-
इनपुट डिवाईस की बात करें तो सबसे पहले हमारे दिमाग में की-बोर्डका ही नाम आता है।
की-बोर्ड एक प्रकार का इनपुट डिवाईस है, जिसमें अलग-अलग प्रकार की बटने होती है, जिनके द्वारा हम कम्प्यूटर को टेक्स्ट अथवा इन्स्ट्रक्शन्स के रूप में इनपुट देते है।
इसके माध्यम से क्लिकेबल इवेंट जैसे कार्य भी किए जा सकते है,
जैसे फाईल को सेलेक्ट करना, डिलीट करना, एक विकल्प से दूसरे विकल्प पर जाना आदि।
की-बोर्ड के द्वारा कई बार कार्य किसी एक बटन से होता है, वहीं कुछ कार्य दो या दो से अधिक बटनों को एक साथ दबाने अर्थात की-काम्बीनेशन से पूरा होता है।
साथ ही जब हम की-बोर्ड की किसी बटन को कुछ देर तक दबाए रखते है, तो वह रीपिट होने लगती है, जैसे यदि ‘ए‘ अक्षर की बटन को दबाए रखेंगे तो ‘एएएएएएएएए‘ टाईप होता चला जाएगा, जब तक कि बटन को छोड न दिया जाए।
माउस | Mouse Input Device:-
माउस एक इनपुट डिवाईस है, जो कम्प्यूटर पर कार्य करने हेतु बहुत ही आवश्यक है,
जिससे हम कार्य को सुविधाजनक तरीके से कर सकते है।
इसे पाइंटिंग डिवाईस भी कहते है।
यह कर्सर अथवा पाइंटर को कम्प्यूटर स्क्रीन पर मूव करने का कार्य करता है।
सामान्यतः उपयोग होने वाले माउस का आकार एक छोटे बॉक्स की तरह होता है,
जिसे हम एक हाथ की अंगुलियों और हथेली से पकड़कर आसानी से चला सकते है।
इसके अलावा लेपटॉप आदि में माउस के स्थान पर टचपेड स्क्रीन आती है,
जिस पर अंगुलियों के प्रयोग से हम कर्सर को मूव करते है, यह माउस की तरह की कार्य करता है।
टच स्क्रीन | Touch Screen Input Device:-
वर्तमान में हम देखते है कि कई मोबाईल, कम्प्यूटर तथा लेपटॉप टच स्क्रीन सुविधा के साथ उपलब्ध है।
Touch Screen की सुविधा से कोई भी यूजर अपनी अंगुलियों से कम्प्यूटर से इंटरेक्ट कर सकता है।
टच स्क्रीन, माउस तथा की-बोर्ड जैसे इनपुट डिवाईस के स्थान पर एक अच्छा विकल्प है, जो कि जी.यू.आई अथवा ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में बहुत ही अच्छी सुविधा प्रदान करता है।
टच स्क्रीन भी एक प्रकार की इनपुट डिवाईस है, इसके माध्यम से स्क्रीन को टच करके कम्प्यूटर को इन्स्ट्रक्शन के रूप में इनपुट दिया जाता है।
यह सामान्यतः एक माउस की तरह कार्य करता है।
साथ ही इसका उपयोग की-बोर्ड के स्थान पर भी किया जाता है, इसमें एक वर्चुअल की-बोर्ड होता है,
जिसमें फिजिकल की-बोर्ड की तरह ही बटने होती है, वर्चुअल की-बोर्ड पर स्क्रीन पर टच अथवा टेप कर हम टाईपिंग कर सकते है।
हम टच स्क्रीन को केवल इनपुट डिवाईस के रूप में समझते है।
लेकिन वास्तव में यह एक इनपुट तथा आउटपुट डिवाईस है, वह इसलिए क्योंकि यह यूजर से टच के द्वारा इनपुट लेती है,
साथ ही कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग के बाद आउटपुट को प्रदर्शित भी करती है।
स्कैनर | Scanner Input Device:-
इनपुट डिवाईस का एक अन्य प्रकार है, स्कैनर।
किसी भी डॉक्यूमेंट को स्कैन करने पर भी कम्प्यूटर को इनपुट दे सकते है।
स्कैनर का कार्यः- वर्तमान में अधिकांश ऑफिस में डॉक्यूमेंट की हार्ड कॉपी के अलावा साफ्ट कॉपी का भी उपयोग होता है,
ऐेसे में हमें अपने ऑरिजनल डॉक्यूमेंट की हार्ड कॉपी को साफ्ट कॉपी अथवा डिजीटल फार्मेट में बदलने की आवश्यकता होती है।
इसके लिए हम स्कैनर का उपयोग करते है।
स्कैनर किसी भी प्रकार के डॉक्यूमेंट अथवा फोटो को डिजीकल रूप में बदलने का कार्य करता है।
Types of Scanner | स्कैनर के प्रकारः-
Flatbed Scanner: :-
इस प्रकार के स्कैनर में एक फ्लेट ग्लास पेन होता है तथा एक मूव होने वाला सी.सी.डी.(चार्ज कपल्ड डिवाईस) अथवा ऑप्टिकल सी.आई.एस (कांटेक्ट इमेज सेंसर) सेंसर होता है।
इसमें स्कैनिंग प्रक्रिया के लिए डॉक्यूमेंट अथवा इमेज को ग्लास पेन पर रखा जाता है,
तथा कांच के ऊपर के कवर को बंद किया जाता है
तथा स्कैनिंग शुरू होने पर मूविंग ऑप्टिकी स्कैनर, इमेज अथवा डॉक्यूमेंट को स्कैन करता है।
इसका उपयोग सामान्यतः फोटो, प्रिंटेड डॉक्यूमेंट तथा बुक को स्कैन करने के लिए किया जाता है।
Sheetfed Scanner: :-
फ्लेटबेट स्कैनर के द्वारा जब भी हमें कोई डॉक्यूमेंट स्कैन करना होता है, तो हम एक बार में केवल एक ही डॉक्यूमेंट को स्कैन कर सकते है।
कई बार हमें एक साथ बहुत सारे डॉक्यूमेंट को स्कैन करने की आवश्यकता होती है,
ऐसे में हम शीटफेड स्कैनर अर्थात डॉक्यूमेंट स्कैनर का उपयोग करते है।
इसमें डॉक्यूमेंट को स्कैन करने हेतु एक फीड में रखा जाता है,
यह फीड उसी प्रकार की होती है, जैसे प्रिंटर में हम पेपर रखते है।
इस प्रकार के स्कैनर में डॉक्यूमेंट स्कैनर से होकर मूव होता है, तथा स्कैन होता है।
इस स्कैनर के द्वारा ज्यादा थिक अथवा मोटे ऑब्जेक्ट जैसे बुक आदि को स्कैन नहीं किया जा सकता है,
इसमें केवल फोटो या कोई पेपर टाईप का डॉक्यमेंट जो बहुत थिन अथवा पतला होता है, को ही स्कैन किया जा सकता है।
Handheld Scanner :-
ऊपर बताए गए स्कैनर में स्कैनर मशीन एक स्थान पर रखी रहती है तथा हम डॉक्यूमेंट को उसमें स्कैन करते है।
हेंडहेल्ड स्कैनर एक बहुत छोटा स्कैनर होता है,
इसमें हम डॉक्यूमेंट को किसी समतल सतह पर रखते है, तथा हेंडहेल्ड स्कैनर को डॉक्यूमेंट के ऊपर खिसकाते है।
Drum Scanner :-
इस स्कैनर में पी.एम.टी. अर्थात (फोटोमल्टीप्लेयर ट्यूब) के द्वारा डॉक्यूमेंट को स्कैन किया जाता है।
पी.एम.टी. एक वैक्यूम ट्यूब होती है जो ग्लास की बनी होती है, जिस पर डॉक्यूमेंट को रखा जाता है।
जैसे ही लाईट बीम डॉक्यूमेंट के ऊपर से होकर गुजरती है, परिवर्तित प्रकाश को पी.एम.टी. द्वारा डिटेक्ट तथा प्रोसेस किया जाता है तथा डॉक्यूमेंट स्कैन हो जाता है।
इस प्रकार के स्कैनर डॉक्यूमेंट को हाई रिजोल्यूशन में स्कैन करती है।
इनकी कीमत बहुत अधिक होती है, इस कारण इनका उपयोग कम किया जाता है।
Photo Scanner :-
फ्लेटबेट के द्वारा किसी इमेज को स्कैन करने पर आउटपुट की क्वालिटी कम होती है।
फोटो स्कैनर विशेष रूप से फोटो को स्कैन करने के लिए उपयोग होता है।
यह फोटो को हाई रिजोल्यूशन तथा हाई क्वालिटी में स्कैन करता है,
जिससे फोटो की स्कैन की हुई डिजीटन कॉपी भी ऑरिजनल जितनी ही क्वालिटी की होती है।
साथ ही कई फोटो स्कैनर में इनबिल्ट साफ्टवेयर आते है, जो इमेज की क्वालिटी को और बेहतर करने में मदद करते है।
Film Scanner :-
कई फोटोग्राफर द्वारा कैमरा में फोटोग्राफिक फिल्म का उपयोग किया जाता है।
इस फिल्म को स्कैन करने हेतु फिल्म स्कैनर का उपयोग किया जाता है।
कई फिल्म स्कैनर में इनबिल्ट साफ्टवेयर होता है, जो फिल्म के स्क्रेच्स कम करते है तथा कलर क्वालिटी को बढाते है।
Overhead Scanners :-
ऊपर बताए गए सभी स्कैनर में डॉक्यूमेंट को स्कैन करने के लिए सेंसर के बहुत पास रखना होता है,
यदि दूरी बढ़ती है, तो स्कैन कॉपी ब्लर होने लगती है,
साथ इनके द्वारा हम केवल फ्लेट डॉक्यूमेंट को स्कैनर कर पाते है, लेकिन कई बार हमें ऐसे ऑब्जेक्ट को स्कैन करना होता है, जो फ्लेट नहीं होते है,
ऐसे में हम ओवर हेड स्कैनर का उपयोग करते है।
इस प्रकार के स्कैनर में डॉक्यूमेंट अथवा ऑब्जेक्ट को रखने के लिए फ्लेट स्क्रीन होती है,
तथा उसके ऊपर लगभग 10 से 12 इंच ऊंचाई पर एक या एक से अधिक डिजीटल कैमरे लगे होते है,
जिनके द्वारा ऑब्जेक्ट अथवा डॉक्यूमेंट को स्कैन किया जाता है।
बार कोड रीडर अथवा स्कैनर | Barcode Reader or Barcode Scanner Input Device:-
बार कोर्ड रीडर एक इनपुट डिवाईस है।
हम रोजाना उपयोग की हर चीजों में बार कोड देखते है।
वर्तमान में अधिकांश प्रोडक्ट पर आडी-खडी, काली-सफेद लाईने बनी होती है, जिसे बार कोड कहते है।
बार कोड रीडर के माध्यम से इसे स्कैन किया जाता है,
जिससे उस प्रोडक्ट के बारे में संपूर्ण जानकारी कम्प्यूटर में उपलब्ध हो जाती है।
इसमें बार कोड रीडर एक लाईट बीम को बार कोड पर उत्सर्जित करता है,
तथा बारकोड रीडर का लाईट सेंसिटिव डिटेक्टर, इमेज के दोनो किनारो की अंतिम लाईन के द्वारा कोड को आईडेंटिफाइड करता है।
क्यू.आर. कोड स्कैनर | QR Code Scanner Input Device:-
क्यू.आर. कोड बार कोड का एडवांस वर्जन है, जिसे टू-डायमेंसन बार कोड भी कहते है।
यह क्यू.आर. कोड एक स्क्वायर बॉक्स के आकार का होता है।
इस क्यू.आर. कोड को स्कैन करने के लिए क्यू.आर. कोड स्कैनर का उपयोग किया जाता है।
वर्तमान में स्मार्ट फोन के कैमरे द्वारा भी क्यू.आर. कोड को स्कैन किया जा सकता है।
क्यू.आर. का उपयोग वर्तमान में बहुतायत में हो रहा है।
बायोमेट्रिक स्कैनर | Biometric Scanner Input Device:-
वर्तमान में हम देखते है कि अधिकांश जगहों पर बायोमेट्रिक सुविधा का उपयोग होने लगा है।
यह एक प्रकार का एडवांस स्कैनर ही है।
बायोमेट्रिक में हम आंखो के रेटिना, हाथ एवं पैर की अंगुलियों के इम्प्रेशन आदि को इनपुट के रूप में कम्प्यूटर को दे सकते है।
वर्तमान में कई कम्प्यूटर फिंगर प्रिंट स्कैनर के साथ उपलब्ध है,
जिसके द्वारा हम मोबाईल की तरह ही कम्प्यूटर को ओपन करने के लिए भी फिंगर प्रिंट का उपयोग कर सकते है।
जोय स्टीक | Joystick Input Device:-
यह एक पाइंटिंग इनपुट डिवाईस है, जो कि माउस की ही तरह कर्सर को स्क्रीन पर मूव करती है।
इसमें एक स्टीक होती है जो कि एक बेस पर लगी होती है,
तथा कंट्रोलर इस स्टीक के एंगल तथा दिशा के आधार पर स्क्रीन पर कर्सर को मूव करता है।
जोय स्टीक का उपयोग गेम्स के लिए किया जाता है साथ ही कहीं-कहीं इसका उपयोग ग्राफिक्स डिजाईन के लिए भी किया जाता है।
माउस तथा जोय स्टीक में यह अंतर है कि माउस का उपयोग होने पर कर्सर स्क्रीन पर तब तक ही मूव करता है, तब तक माउस मूव होता है,
माउस के एक जगह रूकने पर कर्सर भी रूक जाता है,
वहीं जोय स्टीक का उपयोग करने पर कर्सन जोय स्टीक के एंगल के अनुसार लगातार मूव करता रहता है।
कई जोय स्टीक में केवल दाएं-बाएं एवं ऊपर-नीचे मूव करने का विकल्प ही होता है,
लेकिन कई जोय स्टीक में इसके अलावा स्टीक को एंगल के अनुसार मूव करने का विकल्प भी मिलता है।
एडवांस जोय स्टीक का उपयोग कई एयरक्राफ्ट में भी किया जाता है।
लाईट पेन | Light Pen:-
यह एक प्रकार की हेंड हेल्ड इनपुट डिवाईस है, जिसका उपयोग सामान्यतः डिजाईनिंग तथा ग्राफ्टिंग के लिए किया जाता है।
कहीं-कहीं इसका उपयोग मेन्यू सेलेक्शन के लिए भी किया जाता है।
लाईट पेन में एक छोटी ट्यूब में एक फोटो सेल होता है।
जैसे ही लाईट पेन को स्क्रीन के नजदीक लेकर जाया जाता है, तो यह पल्स जनरेट करता है।
यह स्क्रीन पर किसी स्पेसिफिक लोकेशन का पता लगाने हेतु बहुत उपयोगी है।
यह टच स्क्रीन की तरह ही कार्य करता है, लेकिन इसकी स्क्रीन की लोकेशन को डिटेक्ट करने की शुद्धता बहुत अच्छी होती है।
ओ.एम.आर. | OMR | Optical Mark Reader:-
इसे ऑटिकल मार्क रीडर भी कहते है, यह एक इनपुट डिवाईस है, जिसका उपयोग बहुत अधिक किया जाता है।
मुख्यतः ओ.एम.आर. का उपयोग किसी पेपर पर लगाए गए मार्क अथवा चिन्ह् को डिटेक्ट करने के लिए किया जाता है।
इस मशीन में ओ.एम.आर. शीट को डालने पर ओ.एम.आर. मशीन में से एक लाईट बीम निकलती है, जो कि पेपर पर मार्क अथवा चिन्ह् के होने अथवा नहीं होने का पता करती है,
तथा डाटा के पेटर्न को इन्टरप्रेट कर कम्प्यूटर में डाटा को सेव करती है।
ओ.एम.आर. का उपयोग अधिकांशतः आब्जेक्टिव टाईप टेस्ट के उत्तरो को पढने के लिए किया जाता है।
एम.आई.सी.आर. | MICR | Magnetic Ink Character Recognition:-
इसे मैग्नेटिक इंक केरेक्टर रिकॉग्निशन भी कहते है, जो कि एक इनपुट डिवाईस है।
यह किसी पेपर पर लिखे गए केरेक्टर को मेट्रिक्स फार्म में रीड करती है,
यह केरेक्टर एक स्पेशल इंक जिसे मैग्नेटिक इंक कहते है, से लिखे होते है।
एम.आई.सी.आर. का उपयोग बैंकिंग सेक्टर में चेक पर लिखे गए एम.आई.सी.आर. कोड जो कि मैग्नेटिक इंक से लिखा होता है, को पढने तथा आइडेंटिफाई करने के लिए किया जाता है।
ओ.सी.आर.- | OCR | Optical Character Reader:-
इसे ऑप्टिकल केरेक्टर रीडर भी कहते है।
इसका उपयोग किसी प्रिंटेड पेज से टैक्स्ट प्रकार के डाटा को रीड करने के लिए किया जाता है।
ओ.सी.आर में हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर की मदद से हार्ड कॉपी के डाटा को मशीन के समझने योग्य भाषा में बदला जाता है।
इसमें सबसे पहले ओ.सी.आर मशीन में लगे हार्डवेयर के माध्यम से प्रिंटेड डॉक्यूमेंट को स्कैन किया जाता है,
इसके बाद ओ.सी.आर. साफ्टवेयर के माध्यम से इस स्कैन कॉपी को काले तथा सफेद कलर के वर्जन में बदला जाता है,
जिसमें काले भाग को केरेक्टर के रूप में तथा सफेद भाग को बेकग्राउण्ड के रूप में समझा जाता है।
इसके बाद काले भाग को अल्फाबेट तथा नंबर ढूंढने के लिए प्रोसेस किया जाता है।
जैसे ही केरेक्टर को आईडेंटीफाइ किया जाता है,
उसे आस्की कोड अथवा अमेरिकन स्टेण्डर्ड कोड फॉर इन्फोरमेशन इंटरचेंज में बदल दिया जाता है, जो कम्प्यूटर द्वारा समझा जा सकता है,
अब इस प्राप्त डाटा को एडिट किया जा सकता है।
ओ.सी.आर. एडवांस वर्जन भी उपयोग होने लगा है, जिसे आर.सी.आर. अर्थात इंटेलिजेंट केरेक्टर रिकाग्निशन कहते है।
स्मार्ट कार्ड रीडर | Smart Card Reader:-
आपने अधिकांश बैंको अथवा शॉप पर स्मार्ट कार्ड अर्थात क्रेडिट कार्ड अथवा डेबिट कार्ड को स्वाइप करने की मशीन देखी होगी, जिसे स्मार्ट कार्ड रीडर कहते है।
इसे उपयोग करने के आधार पर इसके तीन प्रकार होते है।
एक कांटेक्ट दूसरा कांटेक्टलेस तथा एक अन्य जिसमें दोनो सुविधाएं उपलब्ध होती है।
कांटेक्ट स्मार्ट कार्ड रीडर में स्मार्ट कार्ड को इन्सर्ट करना होता है,
इसके बाद ही रीडर द्वारा जानकारी को रीड किया जा सकता है।
कांटेक्टेस रीडर में एक लेंस होता है, जिसके सामने कार्ड को रखने पर ऑटोमेटिक कार्ड को रीड कर लिया जाता है।
कई रीडरो मं कांटेक्ट तथा कांटेक्टलेस दोनो प्रकार की सुविधा उपलब्ध होती है।
माइक अथवा माइक्रोफोन Mic | Microphone:-
वर्तमान में हम कई जगहों पर कम्प्यूटर को इन्स्ट्रक्शन देने के लिए अपनी आवाज का उपयोग करते है।
इसके लिए कई प्रकार की सुविधा जैसे गूगल असिस्टेंट, गूगल वोइस फीचर आदि उपलब्ध है।
जिनके माध्यम से हम कम्प्यूटर को बोलकर इनपुट के रूप में इन्स्ट्रक्शन दे सकते है। आवाज को डिजीटल संकेत में बदलने के लिए माइक्रोफोन का उपयोग किया जाता है।
वेबकेम | Webcam:-
वर्तमान में हम देखते है कि अधिकांश जगहों पर वीडियो कांफ्रेसिंग की सुविधा उपलब्ध होती है।
इस प्रकार वेबकेम अथवा कैमरा भी एक प्रकार की इनपुट डिवाईस है, जो वीडियो फार्मेट में डाटा को कम्प्यूटर में उपलब्ध कराता है।