Computer | कम्प्यूटर:-
दोस्तों कम्प्यूटर वर्तमान में हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। आज हर कार्य कम्प्यूटर | Computer से संभव हो गए है।
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Toggleऐसे में यह आवश्यक है कि कम्प्यूटर के बारे में आवश्यक जानकारी होना चाहिए।
कम्प्यूटर चलाना भी हर व्यक्ति को आना चाहिए, क्योंकि वर्तमान स्थिति के अनुसार अनुमान लगाया जा सकता है, कि आगे वाले समय में कम्प्यूटर हर कार्य के लिए आवश्यक हो जाएगा।
हम इस पोस्ट के माध्यम से कम्प्यूटर के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।
कम्प्यूटर क्या है | What is Computer:-
कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रानिक मशीन है। जो हमारे द्वारा दिए गए इनपुट पर प्रोसेसिंग कर इनपुट किए गए डाटा के आधार पर आउटपुट प्रदान करता है।
सबसे पहले हम जानते है कि कम्प्यूटर के कौन-कौन से मुख्य भाग है, जिनकी हमें आवश्यकता होती है।
सामान्यतः उपयोग होने वाले कम्प्यूटर के प्रमुख भाग होते है,
मॉनिटर, की-बोर्ड, माउस, केबिनेट, केबल्स। अन्य भाग जैसे यू.पी.एस., प्रिंटर आदि।
कम्प्यूटर मॉनिटर | Computer Monitor:-
यह एक प्रकार की टी.वी. स्क्रीन होती है, जिस पर कम्प्यूटर पर किए जाने वाले सभी कार्य दिखाई देते है।
यह एक आउटपुट डिवाईस है।
मॉनिटर में दो पोर्ट अथवा प्लग एक पॉवर प्लग तथा दूसरा वी.जी.ए. प्लग होते है,
जिसमें से पॉवर प्लग के द्वारा मॉनिटर में पॉवर अर्थात बिजली सप्लाई की जाती है, तथा वी.जी.ए. प्लग द्वारा मॉनिटर को केबिनेट अर्थात सी.पी.यू. से जोडा जाता है।
कम्प्यूटर की-बोर्ड | Computer Keyboard:-
यह एक इनपुट डिवाईस है, जिसके माध्यम से हम कम्प्यूटर को इनपुट देते है।
इसके द्वारा टाईपिंग का कार्य भी किया जाता है, एवं अन्य कई प्रकार के कार्य जैसे कम्प्यूटर को बूट करना, रीसेट करना, फार्मेट करना आदि।
कम्प्यूटर माउस | Computer Mouse:-
यह भी एक इनपुट डिवाईस है, जिसके माध्यम से क्लिकेबल इवेंट किए जाते है,
जैसे फाईल को ओपन करना, सेलेक्ट करना, किसी विकल्प का चयन करना आदि।
कम्प्यूटर केबिनेट | Computer Cabinet:-
केबिनेट से हमारा तात्पर्य है, बॉक्स।
इस बॉक्स में कम्प्यूटर के कार्य करने तथा इनपुट व आउटपुट डिवाईसों से कनेक्शन आदि के लिए अलग-अलग कॉम्पोनेंट होते है।
केबिनेट में उपस्थित मुख्य भाग | Parts of Computer Cabinet:-
कम्प्यूटर के केबिनेट के अंदर सामान्यतः कुछ केबल्स, पोर्ट, प्लग्स, डायोड, चिप, सेल एवं कई प्रकार के छोटे-छोटे कांपोनेंट होते है।
केबिनेट के हर एक पार्ट के बारे में जानने की प्रक्रिया थोडी जटिल हो सकती है।
अतः यहां हम केबिनेट के मुख्य भागों के बारे में ही जानेंगे,
जिनके बारे में सामान्यतः कम्प्यूटर यूजर को जानकारी होना चाहिए।
किसी कम्प्यूटर के केबिनेट को खोलने से पूर्व उसके कांपोनेंट के बारे में जानना आवश्यक है।
नोटः- कम्प्यूटर के केबिनेट को तभी खोले जब आपको उसके बारे में पूरी तरह से जानकारी हो, अन्यथा हो सकता है कि आपके कम्प्यूटर में कोई गड़बड़ी हो जाए।
मदरबोर्ड | Motherboard:-
कम्प्यूटर केबिनेट के अधिकांश हिस्से में मदरबोर्ड होता है, जो सामान्यतः ग्रीन चोकोर प्लेट के रूप में होता है।
यह केबिनेट का मुख्य भाग होता है, क्योंकि इसी मदरबोर्ड पर कम्प्यूटर के द्वारा कार्य करने हेतु प्रोसेसर अथवा सी.पी.यू., रेम तथा इनपुट व आउटपुट डिवाईसों के कनेक्शन हेतु विभिन्न पोर्ट, इंटरनेट कनेक्शन आदि के लिए पोर्ट आदि होते है।
प्रोसेसर अथवा सी.पी.यू अथवा माईक्रोप्रोसेसर | Processor | CPU | Microprocessor:-
प्रोसेसर अर्थात सी.पी.यू. को कम्प्यूटर का दिमाग भी कहते है,
सामान्यत: कम्प्यूटरों में आने वाले प्रोसेसर का आकार एक छोटी चोकोर चिप के लगभग होता है,
इसलिए इसे माईक्रोप्रोसेसर भी कहते है।
मदरबोर्ड में प्रोसेसर लगाने के लिए निधारित स्थान दिया होता है, जिसे आसानी से लगाया जा सकता है।
फैन | Fan:-
जैसा कि हमने पढ़ा प्रोसेसर कम्प्यूटर का दिमाग होता है, इसका तात्पर्य यह है कि कम्प्यूटर के कार्य करने हेतु यही सबसे महत्वूपर्ण कार्य करता है, इसी कारण यह हीट अर्थात गर्म होता है।
इसे ठंडा रखने के लिए प्रोसेसर के पास ही एक फैन लगा होता है, जो कम्प्यूटर के चालू होने पर स्वतः चालू हो जाता है,
तथा प्रोसेसर को ठंडा रखता है, तथा कम्प्यूटर के बंद होने पर स्वतः बंद हो जाता है।
प्रायमरी मेमौरी या मैन मेमोरी या रेम | Primary Memory | Main Memory | RAM:-
कम्प्यूटर में जब भी कोई कार्य होता है, तब वहा उसकी प्रायमरी मेमौरी का ही उपयोग होता है। हर कम्प्यूटर में एक प्रायमरी मेमौरी होना आवश्यक है।
इसकी क्षमता अर्थात डाटा को संरक्षित रखने की क्षमता अलग-अलग हो सकती है।
इसका आकार एक आयताकार चिप के जैसा होता है।
यह एक वोलेटाईल मेमोरी होती है, अर्थात इसमें डाटा तभी तक संरक्षित रहता है,
जब तक कम्प्यूटर चालू रहता है, जैसे ही कम्प्यूटर बंद होता है, इसका डाटा डिलीट हो जाता है।
मदरबोर्ड में रेम हेतु सामान्यतः एक से अधिक रेम मेमोरी पोर्ट होते है।
कम्प्यूटर की रेम मेमौरी के साईज पर भी कम्प्यूटर के कार्य करने की गति निर्भर करती है,
यही कारण है कि मदरबोर्ड में एक से अधिक रेम मेमोरी पोर्ट होते है, जिसके द्वारा हम रेम के साइज को बढ़ा भी सकते है।
ग्राफिक कार्ड | Graphic Card:-
मदरबोर्ड में सी.पी.यू. की तरह ही ग्राफिक कार्ड भी लगा होता है।
इसे वीडियो कार्ड, डिस्प्ले कार्ड, ग्राफिक एडाप्टर, वी.जी.ए. कार्ड, वीडियो एडाप्टर, डिस्प्ले एडाप्टर आदि भी कहते है,
जो आउटपुट को मॉनिटर पर डिस्प्ले कराने का कार्य करता है
साथ ही यह विडियों क्वालिटी तथा मेमोरी को बढाने का कार्य भी करता है।
कई मदरबोर्ड में एक से अधिक ग्राफिक कार्ड के उपयोग की सुविधा भी होती है।
पोर्ट | Port:-
हमने ऊपर कई बार पोर्ट के बारे में पढ़ा। पोर्ट का तात्पर्य प्लग से है,
जिसके माध्यम से केबिनेट के अंदर के कांपोनेंट को आपस में केबल्स का उपयोग करके जोडा जाता है,
इसी प्रकार पेरीफेरल जैसे इनपुट आउटपुट डिवाईस को केबिनेट से कनेक्ट करने के लिए भी पोर्ट उपलब्ध होते है।
कम्प्यूटर में पॉवर सप्लाई आदि के लिए अलग से पोर्ट उपलब्ध होते है।
कई पोर्ट के कुछ विशेष नाम भी होते है,
जैसे सी.पी.यू. सॉकेट, वी.जी.ए. पोर्ट, एच.डी.एम.आई. पोर्ट, साटा पोर्ट, यू.एस.बी. पोर्ट, ऑडियो/वीडियो पोर्ट आदि।
स्टोरेज डिवाईस अथवा हार्ड ड्राइव अथवा हार्ड डिस्क | Storage Device | Hard Drive | Hard Disk:-
जैसा कि हमने जाना कम्प्यूटर की प्रायमरी मेमोरी अर्थात रेम मेमोरी में डाटा केवल तब तक रहता है,
जब तक कम्प्यूटर में पॉवर सप्लाई होती है।
हमें कई बार कम्प्यूटर में कुछ डाटा स्थाई रूप से संरक्षित करना होता है,
जिसे हम कभी भी उपयोग कर सके तथा जो कम्प्यूटर के बंद होने के बाद भी कम्प्यूटर मेमोरी में सुरक्षित रहे।
इसके लिए सेकेण्डरी मेमोरी का उपयोग किया जाता है।
कम्प्यूटर में सेकेण्डरी मेमोरी के लिए इनबिल्ट हार्ड ड्राईव अथवा हार्ड डिस्क आती है,
जिसे आसानी से बदला भी जा सकता है।
हार्ड डिस्क को मदरबोर्ड से कनेक्ट करने हेतु हार्ड डिस्क में दो पोर्ट होते है।
इसके अलावा एक अन्य पोर्ट होता है, जिसके द्वारा हार्ड डिस्क को पॉवर सप्लाई से जोडा जाता है।
पॉवर सप्लाई | Power Supply:-
कम्प्यूटर केबिनेट में बिजली या पॉवर देने के लिए एक पॉवर सप्लाई लगा होता है, जिसमें एक पॉवर पोर्ट होता है।
इस पोर्ट के द्वारा पॉवर केबल की मदद से केबिनेट में बिजली अर्थात पॉवर को कनेक्ट किया जाता है,
तथा केबिनेट के अन्य सभी कॉम्पोनेंट में पॉवर सप्लाई के माध्यम से ही पॉवर पहुंचती है।
अतिरिक्त फैनः- पॉवर सप्लाई भी बिजली के कारण गर्म होता है, इसलिए इसे ठंडा रखने के लिए इसमें एक फैन लगा होता है।
सी.डी./डी.वी.डी. ड्राइव | CD Drive | DVD Drive:-
मेमोरी के क्षेत्र में अनेक अविष्कार जैसे पेन ड्राइव आदि के कारण अब सी.डी./डी.वी.डी. ड्राइव केबिनेट अथवा कम्प्यूटर का आवश्यक भाग नहीं रहा है,
पहले इसका बहुत अधिक उपयोग होता था, क्योंकि अधिकांश कम्प्यूटर प्रोग्राम तथा साफ्टवेयर पहले सी.डी. में ही उपलब्ध होते थे।
इसका उपयोग अभी भी होता है।
हमें इसके बारे में जानकारी होना चाहिए।
यह सभी कम्प्यूटर में लगा हो ऐसा भी जरूरी नहीं है।
केबिनेट में सी.डी./डी.वी.डी. ड्राइव लगाने हेतु अतिरिक्त स्पेस होता है।
इसी की मदद से हम कम्प्यूटर में सी.डी. अथवा डी.वी.डी. को चला सकते है।
कम्प्यूटर केबल्स | Computer Cables:-
कम्प्यूटर के सभी कॉम्पोनेंट को आपस में कनेक्ट करने के लिए कम्प्यूटर केबल का उपयोग होता है।
जिस प्रकार कम्प्यूटर में अलग-अलग पोर्ट होते है,
उसी प्रकार उन पोर्ट को आपस में कनेक्ट करने के लिए अगल-अलग प्रकार की केबल होती है।
कम्प्यूटर में हम दो प्रकार की केबल देखते है,
पहली जो केबिनेट के अंदर होती है, जो केबिनेट के अंदर के कॉम्पोनेंट को आपस में जोडने के लिए उपयोग होती है।
दूसरी जो कम्प्यूटर के बाहरी भागों जैसे केबिनेट को मॉनिटर, की-बोर्ड, माउस एवं अन्य इनपुट-आउटपुट डिवाईस से कनेक्ट करने हेतु।
इनके भी अलग-अलग नाम होते है, जैसे पॉवर केबल, डाटा केबल, वी.जी.ए. केबल, एच.डी.एम.आई. केबल, साटा केबल आदि।
नोटः- वर्तमान में ऐसे कम्प्यूटर भी आने लगे है, जिसमें केबिनेट अलग से नहीं होता, बल्कि मॉनिटर के साथ ही कनेक्ट होता है।
इसी प्रकार लेपटॉप होता है, जिसमें मॉनिटर, की-बोर्ड, माउस तथा केबिनेट सभी एक ही डिवाईस में कनेक्ट होती है।
अब हम जानते है कि कम्प्यूटर कार्य कैसे करता है | How Computer works:-
सामान्य रूप में कम्प्यूटर को एक केलकुलेटर के रूप में समझा जा सकता है।
जैसे केलकुलेटर में कोई भी अंको के प्रकार का डाटा डाला जाए,
तो केलकुलेटर के द्वारा हम उन्हें जोडना, घटाना, भाग करना, गुणा करना आदि कर सकते है।
इस प्रकार कम्प्यूटर के उपयोग में हम Input, Instruction, Processing, Program, Output आदि के बारे में सुनते एवं पढते है।
यहां हम कम्प्यूटर से किसी कार्य को करने के लिए उपयोग होने वाली सभी चीजों के बारे में जाने तो हम इसे इस प्रकार समझ सकते है कि जब हम कम्प्यूटर से कोई कार्य करवाना चाहते है,
तो हम इनपुट डिवाईस जैसे माउस, की-बोर्ड आदि के माध्यम से कुछ डाटा कम्प्यूटर को देते है,
साथ ही यह (Instruction) निर्देश देते है कि दिए गए डाटा का क्या करना है,
इसके बाद कम्प्यूटर दिए गए डाटा तथा निर्देश अनुसार उक्त डाटा पर प्रोसेसिंग कर हमें आउटपुट प्रदान करता है।
इसे हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते है।
उदाहरणः- यहां हम कम्प्यूर में First file नाम से एक वर्ड फाईल बनाएंगे करेंगे।
प्रक्रिया | Process:-
- सबसे पहले हम कम्प्यूटर को स्टार्ट करते है, इसके बाद सबसे पहली स्क्रीन अर्थात विंडो स्क्रीन पर आते है।
- इसके बाद हम माउस राइट बटन क्लिक करेंगे।
3. अब दिखाई दे रहे विकल्पों में से New के विकल्प पर माउस कर्सर को ले जाएंगे जिससे कुछ नए विकल्प दिखाई देंगे।
4. इन विकल्पों में से Microsoft Word Document पर क्लिक करेंगे, एक नई फाईल स्क्रीन पर दिखाई देने लगेगी।
5. इस नई फाईल को हम की-बोर्ड के माध्यम से कोई भी नाम दे सकते है। यहां हम अपनी फाईल का नाम First file रखते है।
- अब की-बोर्ड की एंटर बटन को दबाएंगे अथवा माउस से स्क्रीन की किसी खाली जगह पर लेफ्ट बटन को क्लिक करे।
हम उपर दिए गए उदाहरण को समझते है:-
(बिंदु क्रमांक 2 में हम जैसे ही माउस जो कि एक इनपुट डिवाईस है,
उसके माध्यम से कम्प्यूटर को Instrunction के रूप में इनपुट देते है,
वैसे ही कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग यूनिट (विंडो स्क्रीन पर माउस से राईट क्लिक करने पर निर्धारित प्रि-डिफाईन प्रोग्राम के माध्यम से) इनपुट को प्रोसेस करता है
और ऊपर बिंदु क्रमांक 2 में दिखाई दे रही इमेज के विकल्पों को आउटपुट के रूप में स्क्रीन पर दिखाता है।
माउस से कम्प्यूटर को इनपुट देने के लिए केवल क्लिक ही नहीं किया जाता बल्कि कई प्रकार से माउस से कम्प्यूटर को इनपुट दिए जाते है,
जैसे माउस की मिडिल बटन को स्क्रॉल करके, माउस कर्सर को एक जगह से दूसरी जगह मूव करके आदि।
इसीलिए बिंदु क्रमांक 3 में माउस कर्सर को New विकल्प पर ले जाने पर कम्प्यूटर को इनपुट मिलता है,
और वह उस इनपुट के आधार पर प्रोसेसिंग प्रक्रिया के द्वारा नए विकल्प स्क्रीन पर दिखाता है
तथा नए विकल्पों में जिस विकल्प पर क्लिक किया जाता है,
उसी के आधार पर उससे संबंधित प्रोग्राम को प्रोसेसिंग यूनिट रन करती है,
तथा उसी के आधार पर आउटपुट प्राप्त होता है,
तथा माईक्रोसाफ्ट वर्ड फाईल का विकल्प चुनने पर एक नई वर्ड फाईल स्क्रीन पर दिखाई देती है।
इसके बाद हम की-बोर्ड के माध्यम से उसकी बटनों को प्रेस करके कम्प्यूटर को इन्स्ट्रक्शन के रूप में फाईल का नाम अर्थात इनपुट देते है,
और उसके अनुसार प्रोसेसिंग यूनिट की प्रोसेस द्वारा फाईल का नाम दिखाई देने लगता है।
ऊपर दिए गए विकल्प में हमारी एक टर्म छूट जाती है, जो कि मेमोरी है।
इसे हम इस प्रकार समझते है कि जब भी कोई नई फाईल बनती है, वह कम्प्यूटर की मेमोरी में संरक्षित अर्थाव सेव हो जाती है।)
इस प्रकार यहां हमने देखा कि कम्प्यूटर के कार्य करने की प्रक्रिया अर्थात फंक्शनिंग में निम्न स्टेज तथा टर्म होती हैः-
- इनपुट
- प्रोसेसिंग
- आउटपुट
- मेमोरी
इनपुट | Input:-
हम कम्प्यूटर से किसी कार्य को करने के लिए उसे Data तथा एक या एक से अधिक इन्स्ट्रक्शन देते है,
इस Data तथा इन्स्ट्रक्शन को ही इनपुट कहा जाता है अर्थात हम कम्प्यूटर को जो डाटा उपलब्ध कराते है, वह इनपुट होता है।
इनपुट डिवाईस से डाटा कम्प्यूटर को देने पर उक्त डाटा बाईनरी डाटा के रूप में कम्प्यूटर की मेन मेमोरी में सेव होता है,
जिसे प्रोसेसिंग यूनिट द्वारा उपयोग कर आउटपुट डिवाईस के माध्यम से आउटपुट प्रदान किया जाता है।
इनपुट डिवाईस | Input Device of Computer:- कप्यूटर को इनपुट देने के लिए हम इनपुट डिवाईस का उपयोग करते है।
इनपुट डिवाईस के माध्यम से हम इनपुट कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग यूनिट को उपलब्ध कराते है,
जो प्रोसेसिंग प्रक्रिया के उपरांत आउटपुट उपलब्ध कराती है।
कम्प्यूटर को इनपुट देने के लिए कई प्रकार की इनपुट डिवाईस उपलब्ध है, जिनका उपयोग अलग-अलग कार्यो के लिए किया जाता है।
किस इनपुट डिवाईस का उपयोग करना है, यह निम्न बातों पर निर्भर होता है:-
कार्य की प्रक्रिया एवं जटिलता
किसी डिवाईस से कार्य में लगने वाला समय
कार्य करने में सुविधाजनक डिवाईस
डिवाईस का आकार
जैसे उदाहरण के लिए हमें यदि किसी वर्ड फाईल में कुछ टाईप करना है, तो हम की-बोर्ड इनपुट डिवाईस का उपयोग करेंगे।
टाईपिंग कार्य के लिए हम वर्चुअल की-बोर्ड के साथ माउस का उपयोग कर सकते है, लेकिन माउस से टाईपिंग करने में ज्यादा समय लगेगा,
इस प्रकार टाईपिंग कार्य करने हेतु सबसे बेहतर इनपुट डिवाईस की-बोर्ड है।
इसी प्रकार जब हमें कम्प्यूटर में कोई नई फाईल बनाना होता है, उसे डिलिट करना होता है, उसे सेलेक्ट करना होता है,
कम्प्यूटर की मेमोरी में किसी लोकेशन पर जाना होता है, किसी फाईल को ओपन करना होता है,
किसी फाईल को बंद करना होता है, किसी ओपन की गई फाईल जिसमें एक से अधिक पेज है, को स्क्रॉल करना होता है,
तब हम माउस (जिसे पॉइंटिग इनपुट डिवाईस भी कहते है) का चयन करते है,
इनमें से कई कार्य की-बोर्ड की शॉर्टकट बटन के माध्यम से किया जा सकता है,
लेकिन इन कार्यो के लिए सबसे बेहतर इनपुट डिवाई माउस है।
इनपुट डिवाईस के प्रकार | Types of Input Devices of Computer:-
यहां हम सामान्यतः उपयोग होने वाले इनपुट डिवाईस के बारे में जानेंगे।
इनपुट डिवाईस के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारी दूसरी पोस्ट को पढे। पढने के लिए क्लिक करें।
कम्प्यूटर माउस | Computer Mouse:-
इनपुट डिवाईस की बाते करें तो सबसे पहले हमारे दिमाग में माउस का ही नाम आता है।
माउस एक इनपुट डिवाईस है, जो कम्प्यूटर पर कार्य करने हेतु बहुत ही आवश्यक है,
जिससे हम कार्य को सुविधाजनक तरीके से कर सकते है।
इसे पाइंटिंग डिवाईस भी कहते है।
यह कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक ऐरो के रूप में दिखाई देता है।
सामान्यतः उपयोग होने वाले माउस का आकार इतना छोटा होता है कि उसे हम एक हाथ की अंगुलियों और हथेली के माध्यम से आसानी से चला सकते है।
कम्प्यूटर की-बोर्ड | Computer Keyboard:-
की-बोर्ड भी एक प्रकार का इनपुट डिवाईस है, जिसमें अलग-अलग प्रकार की बटन होती है,
जिनके द्वारा हम कम्प्यूटर को टेक्स्ट अथवा इन्स्ट्रक्शन्स के रूप में इनपुट देते है।
इसके माध्यम से क्लिकेबल इवेंट अर्थात कार्य किए जा सकते है, जैसे फाईल को सेलेक्ट करना,
डिलीट करना, एक विकल्प से दूसरे विकल्प पर जाना आदि।
की-बोर्ड के द्वारा कई बार कार्य किसी एक बटन से होता है,
वहीं कुछ कार्य दो या दो से अधिक बटनों को एक साथ दबाने अर्थात कांबीनेशन से पूरा होता है।
कम्प्यूटर टच स्क्रीन | Computer Touch Screen:-
वर्तमान में हम देखते है कि कई कम्प्यूटर तथा लेपटॉप टच स्क्रीन सुविधा के साथ उपलब्ध है।
टच स्क्रीन भी एक प्रकार की इनपुट डिवाईस है,
इसके माध्यम से स्क्रीन को टच करके कम्प्यूटर को इन्स्ट्रक्शन के रूप में इनपुट दिया जाता है।
कम्प्यूटर स्कैनर | Computer Scanner:-
इनपुट डिवाईस का एक अन्य प्रकार है, स्कैनर। किसी भी डॉक्यूमेंट को स्कैन करने पर भी कम्प्यूटर को इनपुट दे सकते है।
स्कैनर के उपयोग के द्वारा किसी डॉक्यूमेंट को डिजीटल डॉक्यूमेंट बनाया जा सकता है।
बायोमेट्रिक | Biometric:-
वर्तमान में हम देखते है कि अधिकांश जगहों पर बायोमेट्रिक सुविधा का उपयोग होने लगा है।
यह एक प्रकार का एडवांस स्कैनर ही है।
बायोमेट्रिक में हम आंखो के रेटिना, हाथ एवं पैर की अंगुलियों के इम्प्रेशन अर्थात फिंगर प्रिंट आदि को इनपुट के रूप में कम्प्यूटर को दे सकते है।
वर्तमान में कई कम्प्यूटर फिंगर प्रिंट स्कैनर के साथ उपलब्ध है,
जिसके द्वारा हम मोबाईल की तरह ही कम्प्यूटर को ओपन करने के लिए भी फिंगर प्रिंट का उपयोग कर सकते है।
बार कोड रीडर | Bar Code Reader:-
यह एक इनपुट डिवाईस है। हम रोजाना उपयोग की हर चीजों में बार कोड देखते है।
वर्तमान में अधिकांश प्रोडक्ट पर आडी-खडी, काली-सफेद लाईने बनी होती है, जिसे बार कोड कहते है।
बार कोड रीडर के माध्यम से इसे स्कैन किया जाता है, जिससे उस प्रोडक्ट के बारे में संपूर्ण जानकारी कम्प्यूटर में उपलब्ध हो जाती है।
माइक्रोफोन | Microphone:-
वर्तमान में हम कई जगहों पर कम्प्यूटर को इन्स्ट्रक्शन देने के लिए अपनी आवाज का उपयोग करते है।
इसके लिए कई प्रकार की सुविधा जैसे गूगल असिस्टेंट, गूगल वोइस फीचर आदि उपलब्ध है।
जिनके माध्यम से हम कम्प्यूटर को बोलकर इनपुट के रूप में इन्स्ट्रक्शन दे सकते है।
कम्प्यूटर प्रोसेसिंग | Computer Processing:-
जब इनपुट डिवाईस के माध्यम से हम कम्प्यूटर को कोई डाटा एवं निर्देश देते है तो कम्प्यूटर उस डाटा को प्रोसेस कर हमें आउटपुट प्रदान करता है।
यहां इनपुट तथा आउटपुट के बीच में एक स्टेज होती है, प्रोसेसिंग।
इस प्रकार प्रोसेसिंग प्रक्रिया यह निर्धारित करती है कि यूजर द्वारा इनपुट किए गए डाटा को दिए गए निर्देश अनुसार प्रोसेस कर आउटपुट प्रदान किया जाए।
प्रोसेसिंग का तत्पर्य क्रमबद्ध एक्शन्स से है, जो एक के बाद एक के क्रम में क्रियान्वित अथवा रन होते है।
यह एक्शन्स प्रोग्राम अर्थात साफ्टवेयर के रूप में कम्प्यूटर की हार्ड ड्राईव अथवा सेकेण्डरी मेमोरी में इन्स्टॉल रहते है,
इनपुट डाटा तथा निर्देशो से संबंधित प्रोग्राम अथवा साफ्टवेयर प्रोसेसिंग के समय प्रोसेसर द्वारा सेकेण्डरी मेमोरी से RAM अर्थात रेंडम एक्सेस मेमोरी में अस्थाई तौर पर लोड किए जाते है एवं रन अर्थात एक्सिक्यूट किए जाते है तथा प्रोसेसिंग प्रक्रिया खत्म होते ही पुनः अनलोड हो जाते है।
प्रोसेसिंग की प्रक्रिया | Process of Processing in Computer:-
प्रोसेसिंग की प्रक्रिया चार चरणों में पूर्ण होती है, फेच, डिकोड, एक्सिक्यूट, राइटबेक।
फेचः- इस प्रक्रिया में इनपुट डिवाईस द्वारा दिए गए डाटा तथा इन्स्ट्रक्शन्स को कम्प्यूटर की मेन मेमोरी से प्राप्त अर्थात फेच किया जाता है,
जो कि बाईनरी डाटा के रूप में प्राप्त होता है अर्थात 0 तथा 1 की सिरीज के रूप में प्राप्त होता है।
डिकोडः– डाटा फेच होने के बाद प्रोसेसर की कंट्रोल यूनिट के द्वारा डाटा को कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस करने हेतु बाईट्स के रूप में क्रमबद्ध निर्देशों अर्थात सिग्नल्स के रूप में बदला जाता है,
ताकि उन निर्देशों अनुसार डाटा को प्रोसेस किया जा सके।
एक्सिक्यूटः- डाटा के डिकोड होने के बाद सी.पी.यू. की कंट्रोल यूनिट द्वारा उसे एक्सिक्यूट किया जाता है।
जब डाटा अथवा निर्देश जटिल लॉजिकल तथा मैथेमेटिकल प्रकार के होते है, तो इस प्रकार के डाटा को सी.पी.यू. के अरिथमेटिक लॉजिकल यूनिट अर्थात ए.एल.यू. द्वारा एक्सिक्यूट किया जाता है।
राईटबेकः- जब डाटा एक्सिक्यूट हो जाता है, तो प्राप्त हुए रिजल्ट को पुनः रजिस्टर अथवा मेन मेमोरी में लोड कर दिया जाता है,
जो कि आउटपुट डिवाईस के माध्यम से प्रदर्शित अथवा प्रिंट किए जा सकता है।
कम्प्यूटर में प्रोसेसिंग की प्रक्रिया हेतु प्रोसेसिंग यूनिट उपलब्ध होती है।
सामान्यतः प्रोसेसिंग यूनिट को हम प्रोसेसर या सी.पी.यू. अर्थात सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के रूप में जानते है।
सी.पी.यू. (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) अथवा प्रोसेसर: | CPU | Central Processing Unit | Processor:-
इसे सेंट्रल प्रोसेसर भी कहते है। सी.पी.यू. को कम्प्यूटर का मस्तिष्क अर्थात दिमाग भी कहते है।
किसी कम्प्यूटर को दिए गए समस्त इनपुट तथा निर्देशों को प्रोसेस करने का कार्य सी.पी.यू. ही करता है।
सी.पी.यू. इनपुट-आउटपुट डिवाईस को आपस में कम्पयूनिकेट करने में मदद करता है।
वर्तमान में विभिन्न इंटीग्रेटेड सक्रिट आदि के उपयोग द्वारा सी.पी.यू. का आकार एक छोटी चिप के आकार का हो गया है।
अब हमें बडे आकार के सी.पी.यू. की आवश्यकता नहीं होती है।
इस छोटे आकार के चोकोर चिप को माईक्रोप्रोसेसर भी कहते है।
माईक्रोप्रोसेसर को मदरबोर्ड में उपलब्ध सी.पी.यू. सॉकेट पर लगाया जाता है।
यहां हम केवल इनपुट एवं आउटपुट के मध्यस्थ के तौर पर ही प्रोसेसर को समझते है,
लेकिन देखा जाए तो कम्प्यूटर के चालू होने अर्थात बूट होने, विभिन्न प्रकार की इनपुट एवं आउटपुट डिवाईस के कम्प्यूटर पर कार्य करने आदि के लिए भी सी.पी.यू. ही प्रोसेसिंग की प्रक्रिया करता है।
इस प्रकार किसी कम्प्यूटर को चलने योग्य अर्थात किसी कार्य को करने योग्य बनाने का संपूर्ण कार्य सी.पी.यू. द्वारा किया जाता है।
किसी भी डाटा को इनपुट करने से लेकर एक्सिक्यूशन के बाद तक मेमोरी की आवश्यकता होती है।
जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा कि इनपुट डिवाईस से डाटा तथा निर्देश इनपुट किये जाते है,
जो कम्प्यूटर की मेन मेमोरी अथवा रेम मेमोरी में सेव होते है
तथा उसके आधार पर सी.पी.यू. द्वारा हार्ड ड्राइव में प्रि-इन्स्टॉल प्रोग्राम अथवा साफ्टवेयर कम्प्यूटर की रेम अथवा रेंडम एक्सेस मेमोरी में फेच अथवा लोड किए जाते है।
इसके उपरांत सी.पी.यू की कंट्रोल यूनिट तथा अरिथमैटिक लॉजिकल यूनिट द्वारा उक्त डाटा तथा निर्देशों को एक्सिक्यूट किया जाता है,
तथा रिजल्ट अर्थात आउटपुट को पुनः रजिस्टर अथवा मेन मेमोरी में सेव किया जाता है।
इस रिजल्ट अथवा आउटपुट को आटपुट डिवाईस के माध्यम से प्रदर्शित अथवा प्रिंट किया जाता हैं
इस प्रकार हम देखते है कि कम्प्यूटर में किसी कार्य के होने के लिए उसकी मेमोरी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
कम्प्यूटर आउटपुट | Computer Output:-
कम्प्यूटर फंक्शनिंग का तीसरा भाग है।
जब भी कम्प्यूटर से हम कोई कार्य करते है,
तब हमें उसका रिजल्ट अर्थात आउटपुट मिलता है।
इस आउटपुट को देखते के लिए हम आउटपुट डिवाईस का उपयोग करते है।
आउटपुट डिवाईस भी कई प्रकार की होती है, जिनका उपयोग अलग-अलग कार्यो के लिए किया जाता है।
किस आउटपुट डिवाईस का उपयोग कब करना है, यह निम्न बातों पर निर्भर होता है:-
आउटपुट प्राप्त होने की गति तथा लगने वाला समय
आउटपुट डाटा का प्रकार
डाटा का उपयोग
आउटपुट प्राप्त तथा प्रदर्शित करने में सुविधाजनक डिवाईस
डिवाईस का आकार
जैसे हम देखते है कि कई बार जब हम किसी वर्ड फाईल में कुछ टाईप करते है अथवा वर्ड फाईल में कोई डिजाईन अथवा कलर का उपयोग करते है,
तब हम आउटपुट डिवाईस के रूप में मॉनिटर स्क्रीन का उपयोग कर रहे होते है,
वहीं यदि हमें उक्त वर्ड फाईल की भौतिक रूप से आवश्यकता होती है,
तब हम उसे प्रिंटर जो कि एक आउटपुट डिवाईस है, के माध्यम से किसी पेपर पर प्रिंट कर सकते है।
इस प्रकार जब हमें डाटा वर्चुअल रूप में चाहिए होता है, तो हम मॉनिटर का उपयोग करते है,
जब भौतिक रूप में चाहिए होता है, तब हम प्रिंटर का उपयोग करते है।
इसी प्रकार जैसे यदि हमें ब्लेक एण्ड व्हाईट प्रिंट चाहिए होता है, तब सिंपल प्रिंटर का उपयोग करते है,
जब हमें रंगीन प्रिंट की आवश्यकता होती है, तो हम कलर्ड प्रिंटर का उपयोग करते है।
इसी प्रकार आउटपुट के प्रकार पर आउटपुट डिवाईस का उपयोग निर्भर है।
जैसे यदि आउटपुट डाटा वॉइस अर्थात ऑडियों के प्रकार का है, तो हमें स्पीकर की आवश्यकता होती है,
यदि वीडियों के प्रकार का है, तो हमें मॉनिटर अथवा प्रोजेक्टर की आवश्यकता होती है।
आउटपुट की गति के आधार पर भी डिवाईस को अलग-अलग उपयोग किया जाता है।
जैसे अलग-अलग प्रिंटर मशीनों की प्रिंट करने की गति अलग-अलग होती है,
जब हमें जितनी गति से कार्य करना होता है,
उसी के अनुसार प्रिंटर का चयन किया जाता है।
साथ ही आउटपुट के आकार के आधार पर भी डिवाईस का चयन होता है,
जैसे यदि किसी पेपर पर प्रिंट चाहिए तो सिंपल प्रिंटर का उपयोग करते है,
यदि हमें कोई बड़ा बोर्ड अथवा पोस्टर छापना हो तो बडे प्रिंटर अथवा प्लाटर आदि का उपयोग किया जाता है।
आउटपुट डिवाईस के प्रकार | Type of Output Devices in Computer:-
यहां हम सामान्यतः उपयोग होने वाले आउटपुट डिवाईस के बारे में जानेंगे।
आउटपुट डिवाईस के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारी दूसरी पोस्ट को पढे। पढने के लिए क्लिक करें।
कम्प्यूटर मॉनिटर | Computer Monitor:- जब हमें आउटपुट डाटा स्क्रीन पर देखना होता है। तब हम मॉनिटर अथवा स्क्रीन का उपयोग करते है।
कम्प्यूटर प्रिंटर | Computer Printer:- जब हमें आउटपुट डाटा भौतिक रूप से किसी पेपर पर प्राप्त करना होता है, तब हम प्रिंटर का उपयोग करते है।
प्रोजेक्टर | Computer Projector:- जब हमें आउटपुट डाटा को प्रजेंटेशन के रूप में प्रदर्शित करना होता है, तब प्रोजेक्टर का उपयोग किया जाता है।
इसमें प्रोजेक्टर से निकलने वाली लाईट को एक सफेद पर्दे पर प्रदर्शित किया जाता है, जिससे आउटपुट डाटा प्रदर्शित होता है। इसका उपयोग देखने योग्य किसी भी प्रकार के डाटा को आउटपुट करने के लिए किया जा सकता है।
स्पीकरः- जब आउटपुट ऑडियो अर्थात वॉइस प्रकार का होता है, तब हम स्पीकर का उपयोग करते है।
हेडफोन अथवा इअरफोनः- इस आउटपुट डिवाईस का उपयोग सामान्यतः मोबाईल फोन में किया जाता है। साथ ही कम्प्यूटर में भी किया जाता है। यह ऑडियों प्रकार के डाटा को आउटपुट करने का कार्य करता है।
स्टोरेज | Storage:-
कम्प्यूटर फंक्शनिंग में स्टोरेज का अहम किरदार होता है।
कोई यूजर जब इनपुट डिवाईस के के माध्यम से कम्प्यूटर को इनपुट उपलब्ध कराता है, तो वह कम्प्यूटर की मेमोरी में सेव हो जाता है,
इसके बाद सी.पी.यू. उस डाटा को मेमोरी से फेच करता है,
तथा प्रोसेसिंग के बाद आउटपुट को पुनः मेमोरी में संरक्षित कर दिया जाता है।
इस प्रकार इनपुट देने से लेकर आउटपुट प्राप्त होने तक मेमोरी की आवश्यकता होती है।
कम्प्यूटर में दो प्रकार की मेमोरी होती है। प्रायमरी मेमोरी तथा सेकेण्डरी मेमोरी।
प्रायमरी मेमोरी को रेम अर्थात रेंडम एक्सेस मेमोरी भी कहते है।
कम्प्यूटर में कोई भी प्रोग्राम अथवा साफ्टवेयर के एक्सिक्यूशन का कार्य रेम में ही होता है।
रेम एक प्रकार की वोलेटाईल मेमोरी होती है, जिसमें डाटा केवल तब तक रहता है,
जब तक कम्प्यूटर में पॉवर सप्लाई होती है।
कम्प्यूटर डाटा को परमेंट सेव करने के लिए हार्ड डिस्क उपलब्ध होती है, जिसे सेकेण्डरी मेमोरी भी कहते है।
प्रायमरी मेमोरी के कार्य करने की गति सेकेण्डरी मेमोरी की गति से अधिक होती है।
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