Computer Architecture | कम्प्यूटर आर्किटेक्चरः-
वर्तमान में सामान्यतः हम जो कम्प्यूटर देखते है, उसमें इनपुट डिवाईस के रूप में की–बोर्ड तथा माउस, आउटपुट डिवाईस के रूप में मॉनिटर तथा प्रिंटर एवं प्रोसेसिंग अर्थात कम्प्यूटर के कार्य करने हेतु सी.पी.यू अर्थात सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट होती है। कम्प्यूटर के सामान्य आर्किटेक्चर (Computer Architecture) की बात करें तो,
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Toggleजब हम की–बोर्ड से कुछ टाईप करते है, तो वह कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखाई देता है,
तथा उसे प्रिंटर के द्वारा किसी पेपर पर प्रिंट किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में हम देखते है कि इनपुट–आउटपुट डिवाईस तथा कम्प्यूटर का सी.पी.यू. के आपस में कनेक्ट रहते है तथा उनके बीच डाटा तथा निर्देशों को आदान प्रदान होता है।
यह कार्य कम्प्यूटर प्रोग्राम अर्थात साफ्टवेयर के माध्यम से होता है, जो कि हमें दिखाई नहीं देता है,
यह कम्प्यूटर की आंतरिक प्रक्रिया होती है।
इस प्रकार हम देखते है कि कम्प्यूटर केवल भौतिक कांपोनेंट से ही नहीं बना होता है,
बल्कि इन कांपोनेंट के आपस में जुडे होने तथा इनके बीच डाटा व निर्देशों के आदान–प्रदान होने के लिए प्रोग्राम अथवा साफ्टवेयर भी कम्प्यूटर का अभिन्न अंग होता है।
हम यह कह सकते है कि कम्प्यूटर बिना साफ्टवेयर के कोई कार्य नहीं कर सकता है।
इस प्रकार हम कम्प्यूटर आर्किटेक्चर | Computer Architecture को निम्न दो भागों में विभाजित कर समझ सकते है:-
Part of Computer Architecture :- हार्ड वेयर | Computer Hardware:-
यदि हार्डवेयर की परिभाषा की बात करें तो कम्प्यूटर के ऐसे भाग जिन्हें हम देख सकते है तथा स्पर्श कर सकते है, उन्हें हार्डवेयर कहते है।
Part of Computer Architecture | साफ्टवेयर | Computer Software:-
यदि हार्डवेयर की परिभाषा की बात करें तो कम्प्यूटर के ऐसे भाग जिन्हें हम देख सकते है तथा स्पर्श कर सकते है, उन्हें हार्डवेयर कहते है।
हार्ड वेयर के प्रकार | Types of Hardware Computer Architecture:-
कम्प्यूटर हार्डवेयर्स अर्थात कांपोनेंट को भी उनके कार्य करने के आधार पर विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता हैः-
इनपुट डिवाईस | Input Device:-
कम्प्यूटर के वे कांपोनेंट जो कम्प्यूटर में डाटा तथा निर्देशों को इनपुट करने का कार्य करते है, इनपुट डिवाईस कहलाते है,
जैसे की-बोर्ड, माउस, टचपेड, लाइटपेन, ओ.एम.आर., बार कोर्ड रीडर, एम.आई.सी.आर., ओ.सी.आर., स्मार्ट कार्ड रीडर, स्कैनर आदि।
आउटपुट डिवाईस | Output Device:-
कम्प्यूटर के वे कांपोनेंट जो कम्प्यूटर से इनपुट के प्रोसेसिंग के बाद प्राप्त होने वाले आउटपुट को प्रदर्शित अथवा प्रिंट करने का कार्य करते है, आउटपुट डिवाईस कहलाती है।
जैसे मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर, हेडफोन, प्रोजेक्टर, प्लाटर आदि।
सी.पी.यू. अथवा सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट | CPU | Central Processing Unit:-
सी.पी.यू. कम्प्यूटर का मस्तिष्क भी कहते है। यह कम्प्यूटर द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यो को करता है।
मेमोरी | Computer Memory:-
कम्प्यूटर में डाटा को संरक्षित करने के लिए मेमोरी डिवाईस का उपयोग किया जाता है।
जैसे रेम, हार्ड ड्राइव, सी.डी., डी.वी.डी., पेन ड्राइव आदि।
केबल्स | Cables is part of Computer Architecture:-
कम्प्यूटर के सभी कांपोनेंट को भौतिक रूप से आपस में जोड़ने के लिए केबल्स का उपयोग किया जाता है,
जैसे पॉवर केबल, वी.जी.ए. केबल, ओ.टी.जी. केबल, साटा केबल, यू.एस.बी. केबल आदि।
पोर्ट | Port is also part of Computer Architecture:-
कम्प्यूटर के सभी कांपोनेंट को आपस में केबल द्वारा जोडा जाता है,
इन केबल्स को कांपोनेंट से कनेक्ट करने के लिए पोर्ट अर्थात प्लग दिए रहते है,
जिनका आकार तथा प्रकार केबल के अनुसार होता है।
साफ्टवेयर के प्रकार | Types of Software Computer Architecture:-
साफ्टवेयर को भी अलग-अलग भागों में बांटा गया हैः-
1. सिस्टम साफ्टवेयर | System Software:-
कम्प्यूटर के सभी कांपोनेंट अर्थात हार्डवेयर जैसे इनपुट-आउटपुट डिवाईस, सी.पी.यू. आदि को मैनेज करना,
उन्हें नियंत्रित करना तथा एक साथ जोडकर रखने का कार्य सिस्टम साफ्टवेयर का होता है।
यह कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के मध्य एक इंटरफेस उपलब्ध कराता है, जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम।
सिस्टम साफ्टवेयर को बनाने के पीछे महत्वपूर्ण तथ्य था कि उपयोगकर्ता कम्प्यूटर के आंतरिक प्रोग्राम की जटिलता का अनुभव किए बिना आसानी से अपना कार्य कर सके।
इस प्रकार हम कह सकते है कि किसी कम्प्यूटर सिस्टम को चलाने तथा उसे नियंत्रित करने का पूरा कार्य सिस्टम साफ्टवेयर द्वारा किया जाता है।
इन सिस्टम साफ्वेयर को भी उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य के आधार पर निम्न भागों में बांटा जा सकता हैः-
1.1 सिस्टम मैनेजमेंट साफ्टवेयर | System Management Software:-
सिस्टम मैनेजमेंट साफ्टवेयर कम्प्यूटर सिस्टम के द्वारा किए जाने वाले कार्यो अथवा ऑपरेशन, इनपुट-आउटपुट डिवाईस, कम्प्यूटर की कंट्रोल यूनिट, प्रोसेसर, मेमोरी मैनेजमेंट आदि का कार्य करता है।
साथ ही कम्प्यूटर सिस्टम के सभी कांपोनेंट को सपोर्ट प्रदान करने का कार्य करता है।
सामान्यतः हम तीन प्रकार के सिस्टम मैनेजमेंट साफ्टवेयर के बारे में पढ़ते हैः-
1.1.1 ऑपरेटिंग सिस्टम | Operating System:-
ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के मध्य एक इंटरफेस प्रदान करता है,
जिससे उपयोगकर्ता बिना कोई कोड अथवा प्रोग्राम लिखे कम्प्यूटर पर कार्य कर सकता है।
इसके अलावा ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर के सभी कांपोनेंट को कंट्रोल करने का कार्य भी करता है।
कम्प्यूटर के आंतरिक ऑपरेशन जैसे डिस्क एक्सेस, मेमोरी मैनेजमेंट, टास्क सेड्यूलिंग तथा कम्प्यूटर को सुचारू तथा व्यवस्थित रूप से चलाने का कार्य करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्यः-
- इनपुट डिवाईस से प्राप्त होने वाले इनपुट को समझता है तथा आउटपुट को मॉनिटर स्क्रीन पर डिस्प्ले करता है।
- यह एक से अधिक प्रोग्रामों के एक साथ रन होने पर उनके अलग-अलग एक्सिक्यूशन को मैनेज करता है, ताकि वे एक दूसरे को प्रभावित न करें।
- यह सिस्टम सिक्यूरिटी का भी कार्य करता है, अनाधिकृत व्यक्ति को सिस्टम के उपयोग से रोकने का कार्य भी करता है। इसी के माध्यम से हम कम्प्यूटर में पासवर्ड आदि लगा सकते है।
1.1.2 डिवाईस ड्राइवर | Device Driver:-
कम्प्यूटर में अलग-अलग प्रकार की डिवाईस जैसे की-बोर्ड, माउस, सी.डी. रोम ड्राइव आदि लगे होते है,
जिनके द्वारा अलग-अलग कार्य किए जाते है,
कम्प्यूटर को इन डिवाईस के द्वारा किए जाने वाले कार्यो के लिए इन्स्ट्रक्शन की आवश्यकता होती है,
जैसे माउस की किस बटन से क्या होगा आदि।
इस प्रकार वे साफ्टवेयर अथवा प्रोग्राम जो किसी डिवाईस के कार्य करने हेतु आवश्यक इन्स्ट्रक्शन कम्प्यूटर को उपलब्ध कराते है, उन्हें डिवाईस ड्रायवर कहते है।
यह साफ्टवेयर हार्डवेयर डिवाईस को कम्प्यूटर से कनेक्ट करने का कार्य करते है।
1.1.3 सिस्टम यूटिलिटि | System Utility Software:-
कम्पयूटर के मेंटेनेंस से संबंधित कार्यो के लिए सिस्टम यूटिलिटि साफ्टवेयर का उपयोग होता है।
यह साफ्टवेयर कम्प्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम के इन्स्टॉलेशन के समय ही लोड कर दिए जाते है।
सिस्टम यूटिलिट साफ्टवेयर निम्न प्रकार के होते हैः-
डिस्क कम्प्रेशनः-
यह साफ्टवेयर कम्प्यूटर मेमोरी में संरक्षित फाईलों के आकार को छोटा करने के लिए उपयोगी होता है, ताकि अधिक फाईलों को मेमोरी में सेव किया जा सके।
यह यूटिलिट स्वतः कार्य करती है,
इसके लिए उपयोगकर्ता को अलग से कोई कार्य करने की आवश्यकता नहीं होती है।
डिस्क फ्रेग्मेंटर्सः-
यह मेमोरी को कम्प्यूटर पर कार्य करने के अनुकूल बनाता है,
तथा मेमोरी से कम्प्यूटर के कनेक्शन को सही प्रकार से चलाता है।
बेकअप यूटिलिटि | Backup Utility:-
कई बार कम्प्यूटर में खराबी आने से कम्प्यूटर स्टार्ट नहीं होता अथवा हमें कम्प्यूटर को फार्मेट करने की आवश्यकता होती है,
तब हमें अपने कम्प्यूटर के डाटा को सेव करना होता है,
यह साफ्टवेयर कम्प्यूटर मेमोरी के बेकअप लेने के काम आता है।
डिस्क क्लिनर | Dist Cleaner:-
यह यूटिलिट कम्प्यूटर से अनावश्यक फाईल तथा डाटा को हटाने में उपयोगकर्ता की मदद करती है,
इस प्रकार यह कम्प्यूटर की कार्य करने की गति को भी ठीक करने का कार्य करती है।
एंटी वायरस अथवा वायरस क्लिनर | Antivirus | Virus Cleaner:-
कम्प्यूटर का उपयोग करते समय अथवा कम्प्यूटर में ऑनलाईन इंटरनेट का उपयोग करते समय कई हानिकारक प्रोग्राम अथवा साफ्टवेयर कम्प्यूटर में स्वतः सेव हो जाते है,
जो कम्प्यूटर की फाईलों को करप्ट कर देते है, तथा कम्प्यूटर को स्लो कर देते है, इन्हें वायरस कहते है।
इन वायरस को डिलीट करने तथा कम्प्यूटर को इन वायरस से बचाए रखने हेतु एंटी वायरस का उपयोग होता है,
तो समय-समय पर कम्प्यूटर को वायरस हेतु स्कैन करता रहता है।
1.2 डेवेलपिंग साफ्टवेयर | Developing Software:-
यह साफ्टवेयर प्रोग्रामरों की प्रोग्राम लिखने में मदद करने के लिए उपकरण उपलब्ध कराता है,
जैसे टैक्स्ट एडिटर, कम्पाइलर, इंटरप्रिटर, असेम्बलर, डिबगर आदि।
2. एप्लिकेशन साफ्टवेयर | Application Software:-
कम्प्यूटर उपयोग कर्ता को विशेष कार्य करने के लिए एप्लिेकेशन साफ्टवेयर उपलब्ध होते है,
जैसे एम.एस. वर्ड, एम.एस. एक्सेल, एम.एस. पॉवर पाइंट आदि।
एप्लिेकेशन साफ्टवेयर को एण्ड यूजर प्रोग्राम भी कहते है,
सामान्यतः एप्लिकेशन साफ्टवेयर वास्तविकता में उपयोगकर्ता की मदद करते है। इन्हें हाई लेवल लैंग्वेज में लिखा जाता है।
2.1 वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर | Word Processing Software:-
यह वर्तमान में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला साफ्टवेयर है।
इसमें हम कोई डॉक्यूमेंट बना सकते है, उसमे बदलाव कर सकते है, उसे सेव करके रख सकते है।
साथ ही एक कम्प्यूटर के डॉक्यूमेंट को दूसरे कम्प्यूटर में उसी वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर के माध्यम से उपयोग कर सकते है।
2.2 प्रजेंटेशन साफ्टवेयर | Presentation Software:-
जैसा कि नाम से ही समझ आता है, यह साफ्टवेयर डॉक्यूमेंट को प्रजेंटेशन रूप में बनाने के काम आता है।
कई बार हम देखते है कि किसी कंपनी में अथवा स्कूल कॉलेज में स्लाइड शो के माध्यम से विभिन्न तरह की एजुकेशनल अथवा मीटिंग आदि कार्य किए जाते है,
वह प्रजेंटेशन साफ्टवेयर के माध्यम से बहुत आसान हो जाता है।
2.3 स्प्रेडशीट साफ्टवेयर | Spreadsheet Software:-
कई बार हमारे पास ऐसे कार्य होते है, जिनमें हमारे पास एक ही प्रकार के कई सारे डाटा होते है,
जो टेबल फार्म में हो सकते है, तथा हमें उन सभी डाटा अथवा आंकडो पर कुछ केलकुलेशन करने की आवश्यकता हो सकती है,
इस प्रकार के कार्यो के लिए स्प्रेडशीट साफ्टवेयर अर्थात एम.एस. एक्सेल अथवा एक्सेल का उपयोग किया जाता है।
इसमें हम विभिन्न प्रकार के फार्मुलों का उपयोग कर सकते है।
2.4 डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम | Database Management System:-
यह डाटा को एक जगह व्यवस्थित रखने का कार्य करता है।
जैसे किसी स्कूल में स्टूडेंट्स का डाटा अथवा किसी कंपनी में एम्पलोई का डाटा आदि।
इसमें आप नया डाटा इन्सर्ट करने, डिलीट करने तथा डाटा को मोडिफाई करने तथा डाटा को प्राप्त करने का कार्य आसानी से कर सकते है।
एक जगह स्टोर किया गया डाटा, डाटाबेस से कही भी उपयोग हो सकता है।
2.5 ग्राफिक डिजाईन साफ्टवेयर | Graphic Design Software:-
इमेज, वीडियो, ग्राफ, चार्ट आदि प्रकार के डाटा पर कार्य करने हेतु ग्राफिक डिजाईन साफ्टवेयर जैसे फोटो शॉप, इमेज एडिटर, वीडियो एडिटर आदि का उपयोग होता है,
जिन्हें ग्राफिक डिवाईन साफ्टवेयर कहते है।
इसके द्वारा इमेज के फार्मेट को बदला जा सकता है।
2.6 डेस्कटॉप पब्लिशिंग साफ्टवेयर | Desktop Publishing Software:-
डाटा अथवा डॉक्यूमेंट को विजुअल रूप में स्क्रीन पर प्रदर्शित करने तथा उसे प्रिंट करने आदि कार्य के लिए इस प्रकार के साफ्टवेयर का उपयोग होता है,
इसमें टैक्स्ट फांट, पेज ले-आउट आदि को फिक्स किया जाता है।
कोरल-ड्रा, एडोप पेज मेकर आदि डेस्कटॉप पब्लिशिंग साफ्टवेयर है।